क्यों एक लफ्ज़ में तेरे चेहरें को महताब लिख दूँ,
इतनी हसीन हैं ये आँखे, इनपे क़िताब लिख दूँ।-
आंखों को है शिकायत कि बहुत दिनों से कोई अपना नहीं देखा।
बात सही भी है, मैंने एक अरसे से आइना नहीं देखा।-
यूँ ना देख आँखों में मेरी ,कुछ एहसास उभर आते है....
फिर जब मेरी पलकें उठती है,तो इस दिल से जज़्बात निकल जाते हैं..!!
हो अगर आरजू मुझे चाहने कि,तो बता देना खुलेयाम इस ज़माने को,
जब कुछ खास लोग मिलते हैं,तब जिंदगी के हालात सुधर जाते हैं...!!
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Jab wo apni Nashili Aankho me,
Kajal Lgakar Muskurati he..
To Maano Jaise,
Qayamat Me bhi qayamat aajati he..!!!-
चाँद ज़मी में आये तो रात हंसी हो ,
तुम साथ नहीं तो क्या ख़ुशी हो ,,
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वो तो साफ़ अल्फाजों में जुदाई मांग रहा था,
फिर भी उसकी आंखों से रज़ा क्यूं न मिला!-
Kal tk tumne mere an-kahe shabdo
Ko bhi padh liya tha....
Aaj meri aankhein bhi na padh sake tum...
Ek tum hi to ho jisne mere jazbaaton
Ko samjha tha......
Per zindagi mein achanak aaye us mod se
Tumne apna rasta badal lia...
Us wqt bhi meri khamoshi na padh sake tum....
Badi umeedein thi mujhe tumse...
Jo bikharti hui dikhai di....
apni zindagi mein itna mashroof ho gaye tum...
Ki meri aankhein bhi na padh sake tum....
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आधी-आधी रात को
आँखो ने अपना दरवाज़ा खोला ,
अपना ही हाथ पकड़े
मैनें आँसूवो से ये बोला .....
" जल ही तेरा जीवन हैं
और दर्द ही तेरा साया ,
अब क्या लौटकर आएगी वो
जो बन चुकी हैं एक माया |
ये कोई भ्रम नहीं
हैं ये इंसानी छाया ,
यहाँ तो उसने अपना सब हैं खोया
जिसनें कभी गल्ति से कूछ ना पाया ".....-
बातें खूबसूरत थीं,
और सूरत भी लाजवाब थी।
नशे में चूर हो गया,
आँखें उसकी शराब थी।।
चलो अच्छा हुआ,
जो नशा उतर गया उसका।
अच्छी तो बहुत थी,
पर सेहत के लिए खराब थी।।-