तेरी आहट के इन्तिज़ार में गुम
तेरी आहट न सुन सका, अफ़सोस!-
इक आहट हुई थी आने की,
जिस पल मैं अंधेरे में कैद पड़ी थी
कुछ खुशियों की सीढ़ियां चढ़ी थी
बंद दरवाजे में खुद को कर
अतीत के पन्ने को जला कर,
खुद से खुद की बातें कर
आगे के सुनहरे से कल को सींच रही थी
अकेलेपन से लड़-झगडकर
फिर से नया रूख मोड़ रही थी,
काली अंधेरों के बीच
रोशनी की इक गर्माहट हुई थी,
मानो वो मेरी खुशियों की सरसराहट हुई थी
इक आहट हुई थी....!!-
Mn krta hai dur chali jaun is dunnia se.....
Khush rehne lagi hun ab is akelepan se......
Tumhare jane k baad aisa lga jaise akelapan mein dunia bsa li maine.....
mano muhabbat si ho gai is tanhaai se....
Ab na kisi k aane ki khushi na kisi k jane ka dukh......
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Taqdeer ne wqt k panno ko kuch yun palta k humne apni khamoshiya ki aahat tujh mein suni.
Tumne us aahat ki awaaz ko alfazo mein yun byan kia mano tum khud se jyada mujh mein jeete ho.
jisse main ab tk anjaan thi......
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इन ख़ामोश हवाओं में थोड़ी आहट तो हो.... ,
उस बिखरी रूह को हमसे थोड़ी चाहत तो हो।-
दिल की अँधेरी गलियों में...
जब तन्हाई सी छा जाती है...
तब तेरी यादों की मिठी आहट...
हौले से मुझे जगाती है...-
->Aahat<-
Na hosh me hu sanam, Jabse laga hun tera hone, Na basme hai mere kadam, Ye dil laga hai khone, Kahi jab aahat mile Na teri, Tab Ankhey chali Bhighone-
मेरा एेतबार घर की दहलीज़ पर बडी़ देर से आ थमा है...अब तेरे आने की आहट पर सुकूँ आया मेरी बेचैनी को, कि दुनिया की पूछती आँखों को पढ़कर ज़िन्दगी जी नहीं जाती....
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