सारी सड़के सूनी पड़ी है
आबो हवा बारूदों से धधक रही है
मौत हर घड़ी इन्तेज़ार में है
जिंदगियां रहम के लिए तड़प रही है,
मुल्क़ के मजलूमों की आहों से
सारी दिशाएं गूंज रही है
बेदर्दों ने आग बरसाई से आसमाँ से
बसी बसाई बस्ती उजड़ रही है,
हंसता खेलता शहर रो रहा है
मुल्क़ में लोग नहीं, दहशत जी रही है
जालिमों ने दरिंदगी ऐसी फैलाई है
इंसानियत आँखों में ही दम तोड़ रहीं हैं,
सजी धजी गलियां कल की
खूं के धब्बों से आज़ भरी पड़ी है
शोर सराबो से सराबोर मोहल्लें
आज मासूमो के दर्द की दास्ताँ लिख रही हैं,-
Haywire
My heart is breaking it's take
I feel
It's turning my FATE.....-
ये कौन लोग हैं जिनकी
आत्मा कराहती नही युद्ध देखकर
किस तरह सो पाते हैं जला कर
शहर बस्तियां
क्या ले कर जायेंगे अपने साथ
ये झूठा अहंकार
इनके अहम के खातिर
शांति की चाह रख कर
हे ईश !कुछ ऐसा कर
चोट इनको लगे न लगे
अहम चूर हो जाए
सबक ऐसा मिले की न कोई फिर
इतना मगरुर हो पाए-
चाहे हालात कोरोना के हो
चाहे हालात युद्ध के हो
किसी मासूम की मदद करने के हो।
स्त्रियों की इज्जत बचाने की जंग हो।
फ्री ऑक्सीजन कोरोना काल में
मुफ्त बांटने में जो सबसे आगे थे।
युद्ध के समय में भी इंसानियत
निभाने में सबसे आगे हैं
वो हैं हमारे सिख समुदाय
जो हर इंसान को सामान रूप से देखते हैं।
आज भी ऊपरवाला खुश होता है
जिसे ऊपर से देख कर वो है हमारे सिख।।
यूक्रेन में हमारे सिख समुदाय आज भी
लोगों को खाना, रहना, सब सेवा कर रहे हैं।
आप हमारी धरती के सच्चे हीरे हैं।।-
क्या पा लोगे इन हाथों से
जिनमें शहीदों की निशानी होगी,
अगर बगीचा बनाने चलोगे
तो उसमे कांटों की धार होगी,
सांस लोगे कैसे
जिस हवा में बद् दुआओं की निशानी होगी।
-
पुतिन के जाने तोप में बस एक गोला उतारा जाता है
मियाँ उन को है दर्द जिस घर का परिंदा मारा जाता है-
बुझी शमां भी जल सकती है,
तूफान से कश्ती भी निकल सकती है,
होके मायूस यूं ना अपने इरादे बदल,
हौसला अभी बाकी है तेरा,
ये आफत भी टल सकती है...-