ये बेचैन सा दिल बेहलाने क्या लगा,
खुशी मिली नहीं तो दुख को अपना दोस्त बनाने लगा।
अरे, सुकून ढूंढता रहा उम्र भर...
आखिर में पता चला,
बचपन था तो सुकून था।-
जब भी मन होता है पुरानी
यादों से गुफ्तगू करने का
मैं अक्सर अपनी डायरी
के पन्ने पलट लेता हूं-
सुनती बहुत कुछ हूँ मैं ,
पर कहती कुछ नहीं ,
समझती भी सब कुछ हूं मैं,
पर जताती कुछ नहीं हूं ,
ऐसा नहीं की दुखता नहीं दिल मेरा,
बस कुछ कहती नहीं हूं मैं ,
अंदर से टूट गयी हूँ मैं,
जाने कब खत्म होगी ज़िन्दगी की कशमकश,
जाने कब पर फैला कर उडूंगी मैं,
ऐसा नहीं की जीना नहीं चाहती हूं
बस हाल अपना कहती नहीं हूं मैं ,
कभी तो मेरी भी सुनेगा खुदा,
कभी वक़्त मेरा भी आएगा ,
ऐसा नहीं की दुखता नहीं है दिल मेरा,
बस कुछ कहती नहीं हूं मैं।।-
धुआं धुआं सुबह कोहरे की नमी सकूं मुझे कसीफ देती है
सकूं तो बस गांव में है शख्स को शौहरत शहर खींच लेती है-
अगर जिंदगी में
सुकून चाहते हो तो
लोगों की बातों को
दिल से लगाना छोड़ दो।-
रात काली है, रात डरावानी है
ये रात और काली और डरावनी हो जाती है
जब किसी की याद आती है और जाती नहीं-
सकून की तलाश में हैं सब जाने अंजाने में ही सही
महसूस करो तो है हर जगह कभी दिखता तो नहीं-
दिल को मिला यूँ सुकून...
चाहत हो गई जो खत्म...
आसान नहीं था ये सफर...
है रात दिन मेहनत का असर...
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