हे दर्द 🤫🤫
🤫मुझे थोड़ा तो discount दे🤫😥
😥😥🤫मैं तेरा रोज़ का ग्राहक हू😥😥😥-
रोज शाम आ जाती है
चाय का बहाना लिए
दिनभर मुझे फुर्सत ही नहीं मिलती है
अपने जीने के लिए-
आप को तुम , तुम को तू , करता ,
गर मैं आपसे रोज़ गुफ्तगू करता ।-
ये उलाहना तो बहाना है हसीनों का जनाब
नाज़-नख़रे न करे जो , हुस्न कैसा हुस्न है
रूठ कर बैठी हैं वो ताकि करो मनुहार तुम
नज़रें पर दिखला रही कि उनको कितना उन्स है
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जाने कहाँ मुकम्मल होगा उस शख्स का सफर
जो मुझमें मुझे छोड़कर मेरी ही तलाश में रोज़ निकल पड़ता है-
Roz sochta hun tujhse baat karun
Roz tera akhri lehza yaad ajata hai-
बरसती बूंदे, तरसती आंखें
गरजते बादल, लरजते जज्बात
ये मौसम ही तन्हाई का है....
सर्द हवाएं, सर्द से एहसास
भीगती पलके, भीगी भीगी ये रात
ये मौसम ही तन्हाई का हैं....
यादों के बादल, यादों की बरसात
सियाह घटाओ में डूबी सियाह अकेली रात
ये मौसम ही तन्हाई का है....-
Wo Aati Hai Roz Khwabon Me
Phir Muskurakar Chali Jati Hai
Mai To Use Rokna Chahta Hoon Magar,
Wo Hawa Ki Tarah Gum Ho Jati Hai.-
इश्क़ में लज़्ज़त है तुम से रूठ जाने में प्रिये...
ज़ायका उल्फ़त का है तुम को मनाने में प्रिये...-