लर्ज़िश तेरे लबो की ये जुल्फों के पेच-ओ-खम
जीना मेरा मुहाल है और चाँद रात है-
हैं तुर्फ़ा सी यकज़ाई तख़य्युल-ओ-लफ़्ज़ों की
तन्हाई बेमिसाल है और चाँद रात है
बस इक तेरा ख़याल है और चाँद रात है
लर्ज़िश तेरे लबो की ये जुल्फों के पेच ओ खम
जीना मेरा मुहाल है और चाँद रात है
आरिज़ शफ़क़ से उस पे वो इक नुक़्ता जीम सा
नाजुक तेरा ख़याल है और चाँद रात है
बरसात तो नहीं है मगर बादलों सा तर
यादों का इक रुमाल है और चाँद रात है
होली पे आरीज़ों को तिरे जो न छू सका
गमगीन वो गुलाल है और चाँद रात है
हाथों में 'रोज़' एक पियाला है चाय का
हर घूँट बा-कमाल है और चाँद रात है
गुलशन महक उठा तेरे आने से 'रोज़िना'
हर शय प इक जमाल है और चाँद रात है
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सिमट कर चाँद की बाहों में सोएंगे कभी हम भी
अभी बारी तुम्हारी है सितारों तुम तो सो जाओ-
हाथों में 'रोज़' एक पियाला है चाय का
हर घूँट बा-कमाल है और चाँद रात है-
गुलशन महक उठा तेरे आने से 'रोज़िना'
हर शय प इक जमाल है और चाँद रात है-
होली पे आरीज़ों को तिरे जो न छू सका
गमगीन वो गुलाल है और चाँद रात है-
तन्हाई बेमिसाल है और चाँद रात है
बस इक तेरा ख़याल है और चाँद रात है
आरिज़ शफ़क़ से उस पे वो इक नुक़्ता जीम सा
नाजुक तेरा ख़याल है और चाँद रात है
होली पे आरीज़ों को तिरे जो न छू सका
गमगीन वो गुलाल है और चाँद रात है
रेशम से नाम मेरा उकेरा था तुम ने जिस प
पहलू में वो रुमाल है और चाँद रात है
रख्खा फ़रोग़-ए-ज़ख्म ने ताज़ा सियाही को
बज़्म-ए-सुख़न बहाल है और चाँद रात है
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सुकून और चैन की तलाश इश्क़ में न कर
सराब-ए दश्त-ए-ख़्वाब है यहाँ गुमाँ गुमाँ है सब-
वो दश्त-ए-ख़्वाब दिल में मेरे उम्र भर ठहर गया
सराब सा वो इश्क़ बस मुझे छू कर गुजर गया-
सुकून और चैन की तलाश इश्क़ में न कर
सराब-ए दश्त-ए-ख़्वाब है यहाँ गुमाँ गुमाँ है सब-