Vineeta Panchal   (विनीतार्थ)
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सनातन संस्कृति का अंग हूँ
महादेव की कृपा है मुझ पर
जिसके बिना में बेरंग हूँ
Joined 9 October 2021


सनातन संस्कृति का अंग हूँ
महादेव की कृपा है मुझ पर
जिसके बिना में बेरंग हूँ
Joined 9 October 2021
25 NOV 2022 AT 18:28

सपना सा लगता पल भर का
बीत जाते है दिन–रात
और पता नही चलता वक्त का
बदल जाते है हालात

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1 NOV 2022 AT 18:36

कल को देना है जवाब आज ही कहा जाएगा!
बीत गया है आज वो कल लौट के नही आएगा!!

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29 OCT 2022 AT 18:25

कोई नहीं मेरा तेरे सिवाए
मेरे अंतर्मन में बसा शिवाय

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23 OCT 2022 AT 23:37

रिश्तों में हो मीठी सी मिटास...
मुंडेर पे लड़ियां;
दरवाजे फूल हार,
चौखट पर बंधा हो बंधनवार
खुशियां घर आएंगी खोलो द्वार।
आंगन में रंगोली;
दीपों की कतार,
सुख समृद्धि लाए लक्ष्मी गणेश अपार
खुशियों भरा हो दिवाली का त्यौहार।

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15 OCT 2022 AT 16:43

ख्वाब है..तो
जिंदगी रंगीन है
वर्ना तो,
उड़ना व्यर्थ है
जब परिंदा ही पंख विहीन है।

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4 OCT 2022 AT 17:16

मन से भी गहरा अंतर्मन
अंतर्मन में है कौन
राम–राम का सुमिरन करते
🚩 जय श्री हनुमान 🚩
श्री राम का सुमिरन और भला करे है कौन
देवो के देव जिन्हे कहते
मेरे हृदय की गहराई में बसते
जय शंकर भगवान
🙏🙏🙏

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29 SEP 2022 AT 17:45

🚩जय माता दी 🚩

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21 SEP 2022 AT 17:53

...अब न चलेगा कोई बहाना

दुनिया से छुपा कर रखने के लिए...
दिल के कोने में छोटा सा घर बनाया है।
बैठ के गुप चुप बातें करने के लिए...
झरोकों में मैने झीना पर्दा भी लगाया है।
रंग–बिरंगी दीवारों को निहारने के लिए...
तुम्हारी तस्वीर को भी फ्रेम में जड़वाया है।
कि आ जाओ तुम अब मिलने के लिए...
गर्मा–गर्म चाय पिलाने का वादा मैंने निभाया है।
तुम्हारी सारी शिकायते दूर करने के लिए...
कहो! मेरा ये अंदाज क्या तुम्हे पसंद आया है

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14 SEP 2022 AT 19:11

दुनिया वाले भी अजीब है...

बैठेंगे करीब मनाएंगे मातम
हर कोई हमारे गुणों का बखान करके जायेगा
और
हमारे जीवन जीने का परिणाम
फिर हमारे मरने के बाद आएगा

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10 SEP 2022 AT 17:22

मुमकिन है...
कि,कुछ बदलने के लिए
मैं बदल जाऊं
पर,सब कुछ बदलने के लिए
मैं बिल्कुल बदल जाऊं
ये मुमकिन नहीं है

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