नही कहता मैं कभी मगर यकीन कर,
किसी और पर मैं जान गवारा नही करता..!!!!
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वसीयत हस्ताक्षर मांग रही है.
गांव के मुहल्ले में शहर वालों
हम अनपढ़ है कहां कर पायेंगे.
पेशा होगा ये शहर में तुम्हारा क्यों?
पैसे से बस्ती खरीदने चले हमारी.
ये इमां वाले है सहाब कहां बेच पायेंगे.
अंगूठा लगा देते हम अगर
स्याही ये मिलाबटी ना होती .
मरा जमीर, गजब बाधे पे
हम वाह कहां कर पायेंगे.
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ज़बाँ हमारी खामोश है,
मगर नजरें बयां करती है!
हमे आपसे मोहब्बत है,
ये दुनिया कहा करती है!-
Aajau samne dulhan bankar
Kasam se
Jaan de doge muh dikhai mai
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दो फूल रखने से जल गया मजार में कोई
सुखे पतों सा कर फिर से कारोबार कोई.
सादगी की धूल आज भी लिपटी है मुझसे
खिड़की से अब देखता नहीं बारोबार कोई.
महबूब की अदा ने बेशक अदाये बदल दी .
हुक्म मत दे मैं गुलाम ना तेरा पहरेदार कोई.
हकीकी वफा से बेवफा सब उफान में रहा.
गाजी खामोश हो गया दरिया शोरदार कोई.
रोजगार पाने में राहगीरों के जूते गिसते गये
दुआ हुई है बेअसर अंकुर जर जोरदार कोई.
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मुझे इजाज़त दे दो ताबीर ,तुझसे होकर गुजर पाऊँ,
बिना स्पर्श किए गुजरे तो उस हवा का वजूद ही क्या?-
मोहब्बत में किया जाने वाला सबसे झूठा वादा........
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मैं तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे सकता हूँ!-
वो जो मेरे दिल में रहते थे जान की तरह!
🚶♂
इक दिन छोड़ कर चले गये मेहमान की तरह!!-
हम आपसे कुछ यूं प्यार कर बैठे ,
कि खुद को आपके नाम कर बैठे ,
अंजाम क्या होगा इस मोहब्बत का ,
ये जानकर भी आप पर जां-निसार कर बैठे ।-