इत्तेफाक से आज तुझसे नजरें जा मिली थी
तुम्हारे चेहरे की सादगी आज भी बरकरार थी
वो आँखे आज भी मासूमियत से सवार थी
तुम्हारी मुस्कान आज भी चमक रही थी
मैं तो यूँही रास्ते पर चला जा रहा था मगर
तुम्हारी खुशबु आज भी मुझे बेजान कर रही थी!!-
होता है गर इत्तेफाक तो ,कुछ यूँ हुआ करें
हम जब भी उसका नाम ले ,वो आ मिला करें !!
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तुम से नजर का मिलना कोई इत्तेफाक नहीं है........
तुम्हे देख कर जो दिल को सुकून मिलता है वो एहसास हो तुम...................-
Itefaq yun ho ki kabhi tu bhi aaye mere sheher....
Ajnabi ki tarah phir se milna tu kisi pahar....-
छोटा सा शहर....चंद रास्ते...वही गिनी-चुनी गलियाँ,
मग़र कम्बख्त, एक तुमसे मिलने का इतेफाक़ नहीं होता..-
इत्तेफ़ाक से, इत्तेफाक का यूँ इत्तेफाक हो जाना
होंठों का खामोश रहना
और आँखों का यूँ दग़ा कर जाना
चाँदनी रात, सुनसान सी सड़कें
धड़कनों को यूँ बेबाक कर जाना
साथ तुम्हारा चलना
और इश्क का आगाज हो जाना!!-
जिंदगी हर पल खास़ नहीं होती
फूलों की खुशबू हमेशा पास नहीं होती
मोहब्बत तो हमारी तकदीर में लिखी थी
क्योंकि किसी से इतनी मोहब्बत इतेफाक़ नहीं होती ।-
तुझसे मिलना एक इत्तेफाक था
हजारों की महफिल में बस तुझ से मिलना
एक इत्तेफाक ही तो था न
थे लोग बहुत ही जहाँ मिले हम
पर नजरें तुझ पर रूकना इक इत्तेफाक ही तो था
दिन खास था वो तेरे लिए बहुत
तेरे जन्मदिन पर ही मिलना इक इत्तेफाक ही तो था
माना कि तब दोस्त बहुत थे तब हमारे
पर तेरा यूँ खास हो जाना इक इत्तेफाक ही तो था
मिलते तो हम हजारों लोगों से अक्सर
पर दिल सिर्फ तुझ से लगाना इक इत्तेफाक ही तो था
तुझसे मिलना एक इत्तेफाक था
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Kya Haseen Itefaq Tha Teri Gali Me Aane Ka
Kisi Kaam Se Aaye The Kisi Kaam Ke Na Rahe ..!!-
ger jamane mein itefaq hi hoga janab,
joh mera usse takrana apna lagne laga hai..-