हर कोई चाहता है यहां मुहब्बत पाना
तुम यूं करना की बस किसी को चाहते जाना !
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राम आए है तो धन्य अयोध्या है
राम आए है तो प्रफुल्लित सी मिथिला है
राम आए है तो कण कण उत्साहित है
रोम रोम में श्री राम जी समाहित है
राम मेरे लिया त्यागी तपस्वी है
राम तेरे लिए श्री हरि की छवि है
राम अपने नहीं न पराए है
राम ने तो मां शबरी के जूठे बेर खाए है
राम श्रद्धा है प्रेम है और संस्कार है
राम पूज्य है सोच में है निर्विकार है.
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जगत जननी के प्राण से प्यारे
कौशल्या मां के आंख के तारे
भरत ने जिनपर सब सुख वारे
पिता वचन को जो घर त्यागे
लव कुश के जनक रघुनंदन
श्री लक्ष्मण के त्याग तपोवन
दसरथ के वचनों का मान
अयोध्या जी के न्यारे राम
आने वाले है निज धाम
जय सिया राम जय जय सियाराम
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क्या किसी के होने न होने से सांसों पर कोई फर्क पड़ता है?
नहीं,
फ़िर भी किसी का होना ना होना एक अविष्मरणीय घटनाक्रम है!-
मुझे मालूम है मोहब्बत क्या है दर 'असल
मगर यूं हीं किसी से करले ये समझदारी तो नहीं !!
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तुमसे उलझ गया है रिश्ता उलझे धागों सा,
मेरी नज़र जरा कमज़ोर हुई, तुम साथ मेरे सुलझाओ ना-
लोग कितना सुंदर लिखते हैं
उनकी लिखाई में, मैं उनके सुंदर सोच को पढ़ती हूं
मैं लिखते हुए लोगों को ठिक से समझती हूं.-
मैं मानती हूं की हृदय में बसी
अतीत की सारी स्मृतियां काली नहीं होनी चाहिए
कुछ सफ़ेद भी होनी चाहिए
जब लगे की लोगों से जुड़ी यादें कड़वी होने लगी हैं तो उन्हें अपना ले जो जैसा जिस हाल में जैसी यादों के साथ मिला
और फ़िर शांत हो जाए.-