बेटियाँ विदा हो जाती हैं तो,
पर छोड़ जाती हैं अपने मन
को बाबुल की देहरी पे ही
( मन उनका सिसकता पड़ा रह जाता है बाबुल की देहरी पे)-
विदा होते बाबुल की देहरी से ,
अनगिनत मशवरों की गठरियाँ साथ में ले ली
अपनी ख्वाहिशों की गठरी बस माँ के हाथ में दे दी....-
Kitni saubhaghya ki baat hai jo ladke apne ghar ko chodh ke bharat maa ke seva mein jata hai.
Unko na kabhi kisi baat ki chinta hai na kisi baat ki shikayat hai.
Unko toh bas bharat maa ki chahat hai.-
दस्तूर—ए—दुनिया से मैं उनकी होने जा रही हूँ,
कि मैं ज़िन्दगी की नई पहचान बनाने जा रही हूँ!
बड़ी हो गयी अब बिटिया वालिदैन की अपने,
अंगना अपना छोड़ मैं सोन चरैय्या ससुराल जा रही हूँ!!-
मै बेटी मेरे पापा की , मान समान सब रखना है
छोड़ के बाबुल आंगन तेरा ,साजन तेरे संग चलना है
ये रीत हैं ,अपनो को छोड़ ,गैरो को चुनना है
साजन तुलसी तेरे आंगन की , अब मुझे बनना है
आऐ गर मेरी याद , बहू में बेटी देखना है
पापा तुम्हे भी फ़र्ज , विदाई का पूरा करना है
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बाबुल मैं तुम्हारी ही बिटिया हूँ
मइया के आँचल की नन्ही गुड़िया हूँ
आई जो तेरे अाँगन क्यों दुखी होते हो
मेरे आने की आहट को क्यों आँसुओं में भिगोते हो
ऐसा क्या माँगा जो तुम न दे पाते हो
क्यों बाबुल तुम मुझको बोझ बताते हो
छोड़ कर आँगन जिस दिन तेरा जाऊँगी
बनकर नेह तेरी अँखियों से बरस जाऊँगी
आज तुझसे दूर सही पर उस दिन तेरे
दिल में रह जाऊँगी............-
माना कि तुम्हारी मोहब्बत हूँ मैं
पर उनका क्या जिनकी इज्ज़त हूँ मैं।।
कैसे मैं उनकी इज्ज़त दाँव पर लगाउँ
उन्हे छोड़ मैं कैसे तुम्हारी हो जाउँ।।
माना कि तुमने हर कदम पर साथ निभाया
पर उनका क्या जिन्होने मुझे चलना सिखाया
कैसे मैं उस प्यार को भुलाउँ
उन्हे छोड़ मैं कैसे तुम्हारी हो जाउँ।।
माना कि तुम्हारी खुशियों की उम्मीद हूँ मैं
पर उनका क्या जिनके संस्कारों की दहलीज हूँ मैं।।
कैसे मैं उस दहलीज़ को लाँघ जाउँ
उन्हे छोड़ मैं कैसे तुम्हारी हो जाउँ।।
माना कि तुम्हारी चाहत तुम्हारी जान हूँ मैं
पर उनका क्या जिनकी शान और अभिमान हूँ मैं।।
कैसे मैं उनके अभिमान को मिट्टी में मिलाउँ
उन्हे छोड़ मैं कैसे तुम्हारी हो जाउँ।।-
कहां है वो गुड़िया मेरी
जो लगा ले गले
और रुला दे मुझको,
बुला रही बाबुल
तुझको चिरैया तेरी
दे कर थपकी
फिर सुला दे मुझको-
भीगीं सी गली होगी
आलम थोड़ा रुस्यारा होगा
आओगे जब तुम उस मोड़ पर
घर वो अब न हमारा होगा-
बाबुल तोरी चिड़िया उदास
सूने सूने आँगन देहरी
रहती है आँखों में प्यास
सूना सूना माँ का माथा
चन्दा के बिन जैसे रात
सूना रह गया तीज त्योहार
बाबुल तोरी चिड़िया उदास
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