शोख़ियों का सिलसिला,
ग़म का ज़लज़ला है मोहब्बत ।
ज़ुबाँ ख़ामोश निगाहें तूफ़ाँ,
हाय क्या बला है मोहब्बत ।
हम उस ओर ना जाते
तो भी किधर जातें
माना कि एक पल का सुकूँ,
उम्रभर का गिला है मोहब्बत।
नादाँ हैं वो जो सिर्फ़
जन्नत कहते हैं
बेचैनियों का क़ाफ़िला है
सन्नाटों की अला है मोहब्बत।
उसके हाथों में है मौत और ज़िंदगी
मिल जाये तो दवा,दुआ
ना मिले तो मर्ज़ है,मस’अला
है मोहब्बत ।
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मेरी बेचैन रातों का हसीन ख़्वाब तुम
मेरे अहबाब,असबाब,मेरे रुहाब तुम ।-
कौन कहता है इक हम ही को ग़म है
इश्क़ किया है सब ने,सब ही को ग़म है ।-
हमारी पूरी ज़िंदगी का भी
हर वक़्त,हर पल हमारा नही होता।
जिस पल में तुम थे,
वो पल हमारा था, वो वक़्त हमारा था ।
अब इन पलों को मैं क्यूँ
ज़िन्दगी मानूँ
जिनमें तुम नही हो
मैं नही हूँ
हम नहीं हैं ।
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शोख़ियों का सिलसिला है,
ग़मों का ज़लज़ला है मोहब्बत ।
ज़ुबाँ ख़ामोश निगाहें तूफ़ाँ,
हाय क्या बला है मोहब्बत ।-
पिता घर की छत है ,तो
बेटा चहारदीवारी होता है,
छत ढहे ना इस बात की
ज़िम्मेदारी होता है ।-
तुम्हारे ज़िक्र से गुलज़ार दिल-ए-ख़ुशफ़हम मानो
मेरा इश्क़ सच्चा तुम बाकी सब कुछ वहम मानो।
आँखों से जो दिख रहा सब धुँआ है,
आँखों में जो दिख रहा उसी को अहम मानो।
मेरे दर्द,मर्ज़,दवा,दुआ सब तुम हो,
तुम ख़ुद को खुदा का मुझपे रहम मानो।
मैं दिख रही तुम्हारे मानिंद जो अब,ये
च़राग-ए-हयात रौशन तुम्हारे बहम मानो।
मेरा इश्क़ सच्चा तुम बाकी सब कुछ वहम मानो।
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भींगी भींगी सर्द सर्द
गुलाबी फुहार की बातें
सुना रही है तुमको,मेरे
इन्तज़ार की बातें।
धीमी धीमी रोशनी
आँख मूँदता आसमान
धीरे धीरे कर रहा
इश्क-ए-बहार की बातें।
रंग है कि सपने तेरे
ख्वाब है कि चेहरा तेरा
आँखे कर रही
तेरे दीदार की बातें
तुझमें सिमटी है फिज़ा सारी
तुझसे महकी है हवा सारी
हर ज़ुबाँ पर तेरे
खुमार की बातें।-
मेरा जो कुछ था सब-का-सब ले गया,
इक शख्स गया मेरे जीने का सबब ले गया।
मैं खाली सा हूँ अन्दर-बाहर से अब,
वो मिरा इश्क,मेरी जान,मेरा रब ले गया।
नशा ज्यादा है पहले से अब,
जब से वो इश्क-ए-तलब ले गया।
मैं मुरीद था एक खुदा था मेरा,
वो मेरा खुदा,मेरा मज़हब ले गया।
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मैं खुद का आसमान,
खुद ही का सितारा हूँ।
खुद ही से बैर मेरे
खुद ही को प्यारा हूँ।
खुद का मझदार हूँ मैं
खुद ही का किनारा हूँ।
खुद ही में डूबा मैं
खुद ही का सहारा हूँ।
मैं खुद ही से जीता
खुद ही से हारा हूँ।
मेरे सब द्वन्द खुद से
खुद ही के प्रेम का मारा हूँ।-