मंदिर का काम तो अब जोरों से शुरू,
दुआ करता हूँ, मस्जिद भी जल्दी बन जाये।
और उन दोनों के निर्माण के साथ,
पिछली सदी की नफ़रत भी मिट जाए।
ना कहे कोई हमे हिंदू, ना कोई मुस्लिम कह जाये,
नए दौर, नए भारत के हम सब भारतीय,
हम शांति-अमन के इंसान बन पाये।-
अजब ये है कि मोहब्बत नहीं की अब तक ,
गजब ये है कि शायरी का हुनर रखता हूँ..!!-
फैसला चाहे कुछ भी हो।
तुम फ़ासले न बनाना।।
सियासत के इस खेल मे।
अपना तमाशा न बनवाना।।
आफ़ाक-
!! राम गीत !!
कोर्ट तक घसीटे गए और हर चुनाव में भूने गए।
राम टाट में ही पड़े रहे और कई शासन चुने गए।
(अनुशीर्षक में पूरा पढ़े)
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तुम्हारी जहालत से मैं ख़ौफ़ खाता हूँ,
छोड़ो, मत बनाओ घर मेरा,
मैं वापस लौट जाता हूँ।
ऐसी नफ़रत तो रावण से भी ना की थी मैंने,
जितनी तुम ख़ुद ही से करते हो,
तुम क्या करोगे इंसाफ़ मेरा?
मैं ही फिर वनवास को जाता हूँ।-
जब कहीं, कुछ भी होता है
वो राम मंदिर पर आते हैं।
मीठे बोल से हमारी आस्था
पर खंजिर क्यों चलाते हैं।
अगर इतना ही खून उबल रहा है
तो मेरे प्रभु सा बन के दिखावों
नारी के सम्मान के लिए रावण
को बीच बाज़ार मे जलावो।-
हे! अवध नंदन , हम अवधवासी आपके आगमन का आंखे बिछाकर अभिनन्दन करते हैं। इस दीपावली आपकी असीम कृपा, अलौकिक दृष्ट, और अतुलनीय प्रेम से आर्यावर्त के अनुयायियों का जीवन ऋद्धि सिद्धि से अभिभूत हो।
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