उदास जब वो हो जाए,
हम अपने दिल को कचोटते हैं।
ताजुब क्या करते हो,
आशिक़ ही ऐसा प्यार करते हैं।
कहने को है दिल में बहुत सी बातें,
हर मुस्कान में दबी मेरी ये नम आँखें।
वक़्त और हालातों की मार है ऐसी,
उफ्फ ये जलता जिगर और खामोश रातें।-
तस्वीर उनकी मेरी पलकों के भीतर है शायद,
आंखे बंद होते ही उनका चेहरा दिखाई देता है।-
मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूँ हैं-
"पत्थर से मोहब्बत"
अवनीश अपना इश्क़ कुछ यूँ बयां करो,
शीशा ए दिल रखो और पत्थर से प्यार करो।
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_नाम_
दुनिया की सुने... वो 'बेनाम' होते है
जो दिल की सुने... 'बदनाम' होते है
इबादत-ए-इश्क़ ना कर ए गालिब
के सच्चे आशिक़ 'गुमनाम' होते है....
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Life me kbhi Dilna tute
Vo experience kesi ..
Mohhabat me block na hua
Tou mohhabat kesi ..
Snm bewafa na mile
Tou wafa kesi ...
Ashik jo risk na le
Vo ashiqui kesi ....
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उनसें नाराज़गी अब जताती नहीं।
रो देती हूँ लेकिन बताती नहीं।
अश्क़ मेरे सदाएं देने लगे।
अब तो आँखों को भी तुम सताती नहीं।
फिर उनसे शिकायत भला क्या करें।
जिन निगाहों को अब मैं भाती नहीं।
मैंने एक शाम उनसे क्या माँग ली।
उनकी शामें ही अब तो आती नहीं।
मुस्कुरा कर मैं रहती हूँ खामोश अब।
आईना उनको लेकिन दिखाती नहीं।
बेरुखी में भी उनकी रहेगी सदा।
बेवफ़ाई 'धानी' को आती नहीं।-
जब लोग ही बदल जाए
तो फिर ये तो वक्त है......
जिसका बदलना लाजमी है!!!!-
एक इशारे पे मर मिटा कोई दीवाना होगा
बिन शमा जल गया कोई परवाना होगा
रोशन है ये महफ़िल कई चिराग़ों से अभी
सहर होते ही बंजर जमीं पे वीराना होगा
प्याले भर गये अब जाम छलका करता है
जो मय की आरज़ू होगी खाली पैमाना होगा
हुस्न-ए-इश्क़ की आग़ोश में लिपटा है अभी
गम-ए-तन्हाई हर आशिक़ का नज़राना होगा
हसरतों का जोर ना चला एक 'मौन' के आगे
टीस ग़हरी है आहों की ये ज़ख़्म पुराना होगा-
তুমি রয়েছো বহুদূর
তবুও তোমার কথার সুর
আজও মোর হৃদয়ে বাজে
ছন্দহীন কবিতাগুলো আজ
নতুন ছন্দে সাজে।-