छोड़ दो ग़ैरों में अपनापन तलाश करना वरना...
वो छोड़ जायेंगे एक दिन तुम्हें अपना बनाकर!!-
मुठ्ठी भर बीज बिखेर दो दिलों की ज़मीन पर साहब,,,,,
मौसम बरसात का है, शायद अपनापन पनप जाए....!!!!!-
Đarwaja chota hi rehne do,
Ápne makan ka!!!!😇
Jo jhuk k agaya samjho,
Wáhi ápna h.....😒-
लोग मिलते है बहुत अपनापन दिखाते है
अपने आपको बेहतरीन दोस्त भी बताते है
दिल में बहुत इज़्ज़त और प्यार दिखाकर
अपनों के जैसा हम पर हक़ भी जताते है
लेकिन ये अपनापन कुछ दिन का होता है
फिर बहुत जल्द वो हम से दूर हो जाते है
ये किस तरह का कैसा रिश्ता है जो लोग
दिल भरने के बाद अलग रास्ता अपनाते है
किस से शिकायत करें किस से गिला करें
अँधेरे में अपने साये भी साथ छोड़ जाते है-
वो साथ मेरे बैठा, तो खरा नसीब था कभी
वो अपना सा लगने वाला तो
दिल का ही गरीब था!
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नहीं हम दुनियाँ समझते थे
हर कदम एक साथ गुज़रते थे
साथ ही इतना खूबसूरत था
कि हर राह को अपनी मंजिल समझते थे।-
सुनो फलानी अब मैं
अपने "बनारस" की
80 घाट पर मैं बैठ
कर अपने सुबह और
शाम स्वयं को बहला
लिया करता हूं धीरे-
धीरे ही नहीं बल्कि
बहुत तेजी से तुम्हें
और तुम्हारी यादों
को भुला दिया
करता हूं...
♥️🖤♥️-
कभी कभी तकलीफ़ अकेलापन नहीं,
अपनों के ख़ामोश हों जाने होती हैं...
♥️🖤♥️
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अपनापन का
ये कैसा पहलू है...
वो बात
भी नहीं
करते
:
:
और
जाने भी
नहीं देते....🍁-