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●कारगिल विजय दिवस●
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(अनुशीर्षक में)-
🍁शौर्य🍁
अपनी सरजमीं को वो माँ कहता है
शौर्य शहादत में तबदील नहीं होता है ,,
अपनो के लिए अपनो को छोड़ जाता है
टुटती सांसो में हिम्मत साथ रखता है ,,
अपने जीवन का स्वत: प्रमाण देता है
अमिट उसकी पहचान ये इतिहास कहता है ,,
काया तिरंगे में लिपटे तो किस्मत समझता है
कफन सर पर बांधे गले से मौत को लगाता है ,,
बुढ़े बाप का सहारा कभी खुद कंधो पर जाता है
कही टुटी चुड़ियाँ,माँ कि ममता कोई बयां नही कर पाता है ,,
उनकी गोली का हिसाब मागने वालो
तुम क्या फर्ज निभाओगे ?
उनकी कुरबानी कर्ज है तुम पर
तुम खुद बिक जाओगे....!! — % &-
भरी जवानी में माँ के चरणों में
कर दिया अपने प्राणों का समर्पण
रहेंगे अमर हमारे दिलों में वो
अपने शब्दों के करती हूँ श्रद्धा-सुमन अर्पण-
"Either I will come back after hoisting the Tricolour, or I will come back wrapped in it but I will be back for sure." - Captain Vikram Batra
"If death strikes before I prove my blood, I swear I'll kill Death." - Captain Manoj Kumar Pandey
Jai Hind👮
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We are not we used to be,
at the end of the day
we are strangers again!-
" कफन बाँध माथे पर
लहू पिलाया धरती को
हर-एक वीर बना
स्तम्भ विजय भारत का "
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जो मनसा है तुम दुष्टों की
उन्हें हुंकार से हम मिटा देंगे
इतिहास गवाह है जो भी हमसे
जब -जब भी टकराया है
हमने अपनी भारत माँ का ले नाम
इस धरती से उसे मिटाया है
रण में वो टंकार करेंगे
इस बार ऐसा वार करेंगे
नया फिर इतिहास रचेंगे ,
अब आर या पार होगा
हिन्दुस्तान अमर है लेकिन,
पाकिस्तान नही होगा
हिन्दुस्तान अमर है लेकिन ,
पाकिस्तान नही होगा-
मिटा कर खुद को सबको बचा लेते है
वतन की खातिर वो अपना खून बहा देते है
ज़िन्दगी की परवाह वो कभी करते नहीं
देश की खातिर वो जान देने से भी डरते नहीं-
भारत मां जब जब खतरे में आई
हमारे भारत सैनिकों ने तांडव रचाया,
न इंतजार किया दुश्मन के बंदूक उठाने का,
उनके सीने को छलनी छलनी कर दिया
आज भी वो बर्फ की चादर को ओढ़े,
बॉर्डर पार सैनिकों पे नज़र रखते है।
उससे ज्यादा क्या सबूत दे वो,
जब वो अपने वतन के लिए फना होते है।
न चाह उन्हें अपनों की,
न चाह उन्हें उनके सपनों की।
बस तमन्ना है उन्हे भारत मां को गोद में सोने की।
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26 जुलाई कारगील दिवस
ये तारीख है हिन्दुस्तानियो के गर्व की
ये तारीख है पाकिस्तानियो के शर्म की
शांति कायम करना ये एहसास सही था
पर दुश्मनो को कौन समझाए बदजात कहींका
किया था उस दिन उचाईयों पर सामना दुश्मनो का
हार दिलाकर धूल चटाया था हर एक गैर मकसदो का
अपने राष्ट्र को बचा पाना इतना आसान भी नही था
दिन रात बमबारी करना कोई मामूली बात भी नही था
चल लो चाहे जितनी भी चलनी हो तुम्हे चालें
पर हम तो डटे रहेंगे हमेशा देश के रखवाले।
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