"जितनी जी भ्रम में जी
कुछ कट गयी कुछ काट ली
जो गुजर गयी बहुत कम है
जो बच गयी बहुत ज्यादा है
मौत से ज्यादा कोई सगा नही
कोई आये ना आये वक्त पर
ये तो आयेगी एकदम वक्त पर
जो नींद कभी अधूरी रह जायेगी
उस दिन सब पूरी हो जायेगी
सारे भ्रम टूट जायेगे
सब बन्धन छूट जायेगे
जितनी जी भ्रम में जी
कुछ कट गयी कुछ काट ली "
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Don't relate every quote with my life .
"कुछ देखा है कुछ अनुभव किय... read more
"उम्र है कि रूक नही रही
ख्वाईशे है कि थम नही रही
बेवजह जोड़ते है खुद को
एक दरिया पार करने के लिए
मंजिल है कि मिल नही रही
बमुश्किल से लाये है मोती हथेलियो पर
जड़ने को अँगूठी है कि मिल नही रही
उम्र है कि रूक नही रही
ख्वाईशे है कि थम नही रही
क्यो करे शिकायते किसी और से
मेरी ही उलझने मुझसे ही सुलझ नही रही
उम्र है कि रूक नही रही
ख्वाईशे है कि थम नही रही "
-हिमांशी....✍️
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कही ऐसा ना हो
मैं और तुम अलग हो जाए
देखे है जो ख्वाब पूरे
कही ऐसा ना हो
सब टूट जाये अधूरे
कही ऐसा ना हो
मै और तुम अलग हो जाए
सबकी मंशा यही है सनम
मैं तेरी तुम मेरे ना हो पाओ
कही ऐसा ना हो
मैं और तुम अलग हो जाए
सारे मंदिर सारे ईश्वर से
मैने तुमको माँगा
लगता विधाता भी है रूठा
मै खाली,वो नही देता
देख मेरी झोली
वो हँसता,मैं रोती
कही ऐसा ना हो
मैं और तुम अलग हो जाए
कोशिश मैंने बहुत की
सारी की सारी विफल हो गयी
जो भी चाहा जीवन से
वो ही नही पाया किस्मत से
कही ऐसा ना हो
मैं और तुम अलग हो जाए
-"हिमांशी ...✍️"
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ये कैसे अपने है ?
जिनसे अपनी बात नही कह सकते
सिसकते आँसुओ से
अपने ज्ज़बात नही कह सकते
दिल की धड़कन उनसे ही मिली है
मगर धड़कन की धुन सुना नही सकते
ये कैसे अपने है ?
अपनेपन की कोई बात नही होती
अपनी बाते गैरो के साथ होती है
कहने को अपने बहुत है
अपनेपन की एक वजह नही है
ये कैसै अपने है ?
गैरो से गैर लगते है
कुछ अजनबी से लगते है
मुझसे बहुत अनजान लगते है
खामोशियो में खामोश लगते है
परायो से भी पराए लगते है
ये कैसे अपने लगते है ?
-हिमांशी....✍️-
" बिन माँगे जो मिल जाये,
तेरी पूजा का प्रसाद है
माँगकर भी जो ना मिले,
तेरे पापो का पश्चाताप है "
नाराजगी से फर्क ना पड़े
भला वो कैसे तेरे अपने है
तक़लीफो से जो काँप उठे
भला वो कैसे तेरे गैर है
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कभी कभी ख्वाब बनके
कभी कभी आवाज बनके
आये वो मेरी ज़िन्दगी में
कभी कभी मोड़ बनके
ज़िन्दगी मेरी वो उधार कर गये
जाते जाते मेरे ख्वाबो में अपना नाम लिख गये
है तस्ववुर मुझे भी
है सब्र मेरी आँखो में भी
ज़िन्दा है मेरी लाश
अब क्या कहूँ कुछ खास
होके जुदा अपने आप से
कहते है कुछ आप से
साँसो को तुम बाँध लो
दिल को पत्थर का ढाल लो
होना है जो होएगा
जिन्दा है जो जिन्दा रह जायेगा ।।-
"कोई बात कहकर,मुकरते नही है
सपने दिखाकर ,बिसरते नही है
है लबो पर शिकायत किसी के लिए
किसी और से कहकर सुलझते नही है
है हकीक़त यही,वक्त है नाजुक अभी
लफ्ज़ो को तू दे ताराजू अभी
रूठकर,टूटकर जा बिखर चूर तक
क्या कमी, है कहाँ ,देख तू,आँख से
कौन है,अपना जो,हो गया,है पराया
लिपटकर,सिसककर,सिमट तू अपने पर
जो गया ,सो गया अब नही तेरा हक
कहने को बात है,पर जुब़ा है सिली
जज्बातो की धारा अपने अंदर है कौंधती
इसको तू आराम दे,सुमरिन को त्याग दे
है हकीक़त यही,वक्त है नाजुक अभी
लफ्ज़ो को तू दे ताराजू अभी
है लबो पर शिकायत किसी के लिए
किसी और से कहकर सुलझते नही है "
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" खुँशियो का ताल्लुक जब तक दूसरे से होगा
मान ना मान तब तक तू खुश ना होगा "
" बहुत बेचैन करती है,जब तेरी याद आती है
तसल्ली,तक्ल्लुफ बेहिसाब देते है
तुझे भूल सकू,तो तुझे हर रोज याद करते है "
" बड़ी जहरीली तड़प है,सबको नसीब नही
जिसको नसीब है ,वो खुशनसीब नही "
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"वक्त से बड़ा कोई मरहम नही होता
हमराज से बड़ा कोई राज नही होता
मुश्किलो में वो अकेला रहे,आम है
खुशियो में भी कोई ना हो शामिल
उससे बड़ा कोई तन्हा नही होता "-
"इंसान कमाता है सुख पाने को
दर दर भटकता है धन पाने को
मिट्टी मिट्टी हो जाना है
एक दिन सब खो जाना है
भूख बड़ी पापी है इस जर्जर की
खुद को मिटाना है इसे मिटाने को
इंसान कमाता है सुख पाने को
दर दर भटकता है धन पाने को
छोड़ के आराम की सैय्या को
जाता है आराम कमाने को
उमर हो जाये लम्बी
दिन रात वो खाता है
खाते खाते भी
एक दिन बूढ़ा हो जाता है
भूख बड़ी पापी है इस जर्जर की
खुद को मिटाना है इसे मिटाने को
सोता है सपने देखने को
भूल के सपना उठ जाता है
इंसान कमाता है सुख पाने को
दर दर भटकता है धन पाने को
मिट्टी मिट्टी हो जाना है
एक दिन सब खो जाना है "
_"हिमांशी...✍️"-