बिदाई की बेला
के बीता है मेरा बचपना यहाँ, मुझे इनसे जुदा न कर
आने वाले खुशियों के लिए, मुझे मेरे ही घर से विदा न कर
देना चाहता है खुशियां अगर, तो रह जा न तू भी यहां
चन लम्हे की बात है, फिर तेरा भी तो आज से ये संसार है
कोख से जन्म दिया तो केवल मैं रोई थी
क्या खुद से विदा कर मां नही रोएगी
खालीपन का सहारा आखिर किससे भरेगी मां
जब याद आयेगी बेटी की तो आखिर किससे बोलेगी मां
अपने घर की रौनक देकर, परिवार तेरा सजाया है
कदर करना यारा मैंने तेरे लिए, अपना अस्तित्व गवाया है
कैसा बीतेगा मेरा जीवन वहाँ,
कश्मकश से भरा मेरा दिल हुआ
क्या मिल पाएगा प्यार मेरे घर जैसा वहां
या बनेगा एक और दुनिया जो होगा मुझसे जुदा
क्या होगा पति मेरा पिता जैसा ही
ये ख्याल बार बार मन मे आता है
सब अच्छा रहा तो ठीक वरना
मेरा तो जी घबराता है!!
भगवान से एक ही दुआ है,
आशीष से अपने कभी जुदा न कर
कश्मकश हो चाहे जितने,
भक्तन से अपने दगा न कर-
जब प्रेम की जगह शक ने ले ली
यकीनन तभी उजाड़ा दुख ने सुख का जीवन
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करू किससे अब मैं क्या शिकायत
जब सबका पक्ष सही था
और करनी भी क्या किससे शिकायत
जब वक्त मेरा ही गलत था-
के चादर लंबी मिली फिर भी ठंड कुछ गहरी थी
तन सारा ढाक लिया फिर भी कमी कुछ रह रही थी
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के चादर लंबी मिली फिर भी ठंड कुछ गहरी थी
तन सारा ढाक लिया फिर भी कमी कुछ रह रही थी
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के भगवान इतना बीमार मुझे कर
के रात के अंधेरे में बिन बताए तू आए
और सन्नाटों को चीर कर साथ मुझे अपने ले जाए-
मुझसे ख्वाहिशें इतनी थी उन्हें
की गिनती भूल जाएं हम
पर खुदा....!!
एक भी मौका ऐसा न दिया
के आशाओं पे उनके
कभी खड़े उतर पाएं हम
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बढ़ जाएं आगे कितने भी
खता एक न भूल पाएंगे कभी
पलट लिया होता रास्ता अगर
तो मंजिल तले होती ख्वाहिशें मेरी-
साल नया है तो क्या हुआ
पिछड़े पन्ने कौन से लौट आएंगे
समा नया बंध भी गया तो क्या हुआ
पुरानी यादों को हम कैसे झुटलाएंगे
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के लानछन लगे हजार थे,
उसपे भी कयी विचार थे |
रायता फैलाया जिसने भी,
उसके भी बने हिसाब थे |
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