Pal Do Pal Main Zindagi Ulajhh Jaati Hai
Pal Do Pal Mai Zindagi Sulajhh Jaati Hai
Yeh Zindagi Hin Toh Hai
Jo Hume Baar Baar Jeena Sikhaati Hai....-
ചാരത്തു നിയിലെന്നാകിലും
കാറ്റ് മൂളിടും നിൻ സ്വരം
ഉതിർന്നു വീഴുന്ന ഓരോ
ശ്വാസ-നിശ്വാസങ്ങൾക്ക് ഇടയിലും
നെഞ്ചിന്റെ താളത്തുടിപ്പുകകളിലൂടെ
എന്നിലുയർന്നു പൊന്തുന്നതും
നീയും നിന്നോർമകളും മാത്രം-
दरवाजे के बाहर, उम्मीद खड़ी है
पर ख्वाहिशों की,सांकल चढ़ी है
हौसले के हथोड़े से, खोलनी कुंडी है
पर उसमें जीवन डाले, अपनी मुंडी है
-
मैं - सुनो ना ! आज 02 / 02 / 22 है,
तुम- तो ! 🤔कहो क्या फर्माईश है.?
मैं - नही,फर्माईश नही, गुजारिस है!
तुम- ओ हो! तो फिर कोई नुमाईश है?
मैं - नही नही,बस छोटी सी ख्वाईश है!
तुम- अब कहो भी,आखिर इरादा क्या है?
मैं - याद करो, आज का वादा क्या है?
तुम- वादा ? मुझे तो कुछ याद नही,🤔
मैं - जाओ! मुझे करनी कोई बात नही😒
तुम- अरे! ये तो बताओ क्या ख्वाईश थी?
मैं - नही ! वो तो बस आजमाईश थी !
तुम- उफ्फ़ तुम्हारी आजमाईशें भी हद हैं🤦♂️
मैं - ऊँ हुँ ! हद नही, जो भी है बेहद हैं 🤗
तुम- फिर ये 2/2/22 की क्या कहानी थी?
मैं - कुछ नही, तारिख प्यारी लगी,
इसलिए तुम्हें याद करानी थी!😍— % &-
એ સિંહણ તારી બોલકી આંખો આગળ મારા હોઠ પાછળ પડે,
આ તારા મોંન નિબંધ સામે 'હાવજ' ના શબ્દો પણ પાણી ભરે.-
We met,
But as a stranger
Once again we met,
But as a loner
A flashback came into her mind with a smiling face no one could ignore..her heartbeat got faster
But what's the point of that though it was a rainy day
Once again their eyes crossed
That too revealing everything-
மலர் விடுத்திருந்தால்...
மலரை தொட்டு போயிருப்பாய்...
உன் தீண்டல் கிடைத்திருக்காது...
அவ்விலைகளுக்கு..!
அதான் இவ்வளவு காலம்...
மொட்டு விடாமலே இருந்திருக்கிறது...
இந்த பொல்லாத இலைகள்💚..!-
आगोश़ में झगड़ा हमारा तुम्हारा नहीं
हमारे जिस्मों का होता है
हम और तुम तो
रूहानियत में मसरूफ़ रहते हैं-
लड़ें दुश्मनों से ये आदत नहीं है
महब्बत हमारी सियासत नहीं है
मुझे वैसे पीने की आदत नहीं पर
मैं पीता हूँ लेकिन मुझे लत नहीं है
जिन्हें याद करने में मसरूफ़ हैं हम
उन्हें एक पल की भी फुर्सत नहीं है
बदन मोम का है भरी दोपहर में
कहाँ सर छुपाएँ कहीं छत नहीं है
गिले हैं बहुत मुझसे लोगों को लेकिन
मुझे तो किसी से शिकायत नहीं है
पसारे हुए हाथ रहते हैं लेकिन
मगर सबसे कहते हैं ग़ुर्बत नहीं है
नहीं उठ रहा बार -ए- ग़म तुमसे "सालिक"
बदन मेंं वो पहले सी ताक़त नहीं है-