मैंने कहा...
"मुझे यकीन नहीं होता"
कि कल ऐसा हो सकता है,
उसने कहा...
"मेरा यकीन करो"
यकीनन कल ऐसा ही होगा,
और मैंने...
उसके यकीन पर
यकीन कर लिया...
फिर हुआ यूँ कि...
कल का अंजाम पाकर,
रात के तीसरे पहर तक,
मैंने अपनी "स्टेटमेंट" के
जीतने का जश्न मनाया।-
💐🌹🎂🎂🎂🌹💐
ज़िंदा अपने ज़मीर को अक्सर वही बचा पाया है
नेकी पे चलके जो ... read more
बता ऐ चाँद आखिर
तू कब तक भला
मेरी झोंपड़ी को
रौशन कर पायेगा,
कभी अमावस
तुझे निगल जाएगी,
तो कभी बादल
तुझे ढ़क जाएगा।-
तेरा चुपके-चुपके आणा
फिर झाले दे के बुलाणा,
करके फेर आँख मिचौली
तेरा बार बार यूँ सताणा।
या छम छम छम छम
राधा दौड़ी आवै सै... हाय्य...
तू प्रेम की बंसी...
जब जब श्याम बजावै सै।
तेरी बातां का यो जादू
कर लेता मुझको काबू,
जब तिरछी नजर लखावै
दिल होज्या सै बेकाबू।
या सर सर सर सर
साँझ सिमटती आवै सै, हाय्य...
तू रात सा आकर
जब-जब मुझ पै छावै सै।-
सोचा था कायरों की भीड़ में तुम मर्द हो,
पतझड़ में भी न झरे वो दरख़्त-ए-ज़र्द हो।
मलहम समझ के मला था दिल पर तुम्हें,
कहां मालूम था कि दिल का तुम दर्द हो।।-
काश तुम जानते किस कशमकश में पड़ी हूँ मैं,
होकर बेबस ज़िंदगी के दोराहे पर खड़ी हूंँ मैं।
यूंँ तो घुटन सह कर भी टूटता नहीं सब्र मेरा,
है उम्र छोटी पर अनुभव से बहुत बड़ी हूंँ मैं।
जिस घड़ी से छुआ है मेरी रूह को तुमने,
अपने जज़्बातों से हर एक पल लड़ी हूंँ मैं।
ये मर्यादा की बेड़ियां जो पड़ी हैं पैरों में मेरे,
जाने क्यूंँ इन्हें तोड़ने पर आज अड़ी हूंँ मैं।
होके रूश्वा मेरी बेरुखी से मुंँह ना मोड़ना तुम,
जल्द ही उबर आऊंँगी,अभी दर्द में गड़ी हूंँ मैं।
टकरा ही जायेंगे हर मोड़ पर हम तुम जाना,
तुम वक्त हो यारा और चलती घड़ी हूँ मैं।-