ख़ुदा की लिखी खूबसूरत ग़जल हो तुम
कैसे लिखूँ मैं तुम्हें दोबारा-
सफ़र
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वफ़ा फ़ैली हर तरफ़ लाचारी है
मगर सफ़र जिंदगी का जारी है॥
कौन कब कहाँ साथ छोड़ देगा
न जाने यहाँ कब किसकी बारी है॥
महफूज़ हर कोई रहना चाहता है
मर्ज भला किसको पसंद आई है ॥
जद्दोजहद में उलझी है जिंदगी
फिर भी अना गुरूर की खुमारी है॥
अपने ग़म की कोई परवाह नही
गैरों का विवेक बना सलाहकारी है॥
-विवेक जौनपुरी
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कागज़ आज कोरा पड़ा है..
खुद एक ग़ज़ल आज
कुछ अल्फाज़ों की दुआ माँगती है..
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ग़जल
बातों-बातों में तुमने ये क्या कह दिया
ये जो दिल था मेरा अब तेरा हो गया।
बात मेरी कहां अब सुनेगा भला
राज इसपर सजन जो तेरा हो गया।
ये चहकने लगा,ये बहकने लगा
पहले क्या था ये अब क्या से क्या हो गया।
प्यार को प्यार से प्यार करने लगा
साथिया अब तू इसका ख़ुदा हो गया।
मैंने सोचा नही,मैंने समझा नही
जाने कब कैसे ये फ़ैसला हो गया।
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मेरी बातें जब तेरे दिल मे उतर जायेगा
यकी है हमें मुहब्बत तुमको हो जायेगा॥
शक्त लहज-ए-नजर से बस दिखता हूँ मै
मुहब्बत-ए-दिल है प्यार से पिघल जायेगा॥
तुमसे मिलकर ख़ुशी सच होगी मगर
घर पहुँच कर सफ़र ख़त्म हो जायेगा॥
तबस्सुम-ए-लब जब रूख़सत करेंगे तुम्हें
यकी मानो आँखों से अश्क़ निकल जायेगा॥
रात दिन सोच के तसव्वुर मे सहम जाता हूँ
बग़ैर उसके मै "विवेक" जिंदा कैसे रह पायेगा॥
-विवेक जौनपुरी
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वो महफ़िल सजाये बैठे थे
आज दिल के हर राज़ की
कहानी थी कुछ उनके
इश्क और दर्द के अंदाज की
हर कोई बैठा था
दिल थाम कर अपना
मानो सच ना हो कुछ भी
हो एक बेदर्द सा सपना
कहानी खत्म हुई उनकी
कुछ इस अंदाज से
तालिया बजाकर रोये
लोग उनकी हर बात पे-
5000 Post Of सख़्त दबंग Chanchal Lohmorh
5000 5000 5000
सैलाब मोहब्बत का दिल में गहरें समुद्र सा उमड़ता है
जब तू अपनी बाँहों में जकड़ता है ये और भी बढ़ता है
तेरे क़रीब आतें ही दिल बेचैन ज़ोर ज़ोर से धड़कता है
क्या मैं बताऊँ कैसे मेरा हर जज्बात बे-हद मचलता है
जानें मेरे अंग अंग को तेरे मिलन की कैसी उत्सुकता है
मेरा ज़िस्म भी तुझकों अपनें क़रीब लानें को तरसता है
जब भी तेरे ज़िस्म का कुछ जाम मेरे ज़िस्म में उतरता है
तब मेरे इस तन का पारा और भी हदों के पार चढ़ता है
कुछ इस तरह मैं तुझमें तू मुझमें रूह बनके लिपटता है-
बचा के रखना वफ़ाए अपनी ..
कि तुझसे मिलने तेरे शहर आउंगी !!
दिखाने वफा की तुझे इन्तेहाँ ..
तेरे ही किस्से सुनाने तेरे शहर आऊँगी !!
तूं जो थाम ले हाँथ तो चल पडूँगी तेरे साथ ....
कि तुझे अपना बनाने तेरे शहर आऊँगी !!
रुकेंगे कहीं मोड़ पर साथ छूवेंगे एहसासों से एहसासों को ...
कि बनाने तुझे अपना हमसाथ तेरे शहर आऊँगी ....
हो न जाना किसी और के करना कुछ लम्हें इंतजार ....
कि उतर के सांसों में हर गम में चलने तेरे साथ तेरे शहर आऊँगी !!
करना और कुछ पल इंतजार ..
मै तुझसे मिलने तेरे शहर आऊँगी !!-
**मेरी मोहब्बत**
मोहब्बत का होता है जब असर
हर तरफ़ आता मोहब्बत नजर ॥
दिन रात तसव्वुर करता है मन
रात दिन मोहब्बत सोचता है मन
ख़ुद का होता नही कुछ ख़बर
पागल सी हरक़त करता है मन ॥
ख्वाबों में सोए ख़्वाबों में जागे
इश्क़ का बिछौना ओढ़े बिछाए॥
भूख प्यास न मोहब्बत को सताए
हर वक़्त ख़्याल मुहब्बत की आएं
पाने की तमन्ना दिल में उमड़ता है
मिलने की ख़्वाहिश दिल करता है ॥
इस क़दर याद आती जब इश्क़-ए-कहानी
विवेक सुर्ख़ होता गिरता है आँखों से पानी ॥
-विवेक जौनपुरी
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🌹 ग़जल 🌹
हरेक आँसू को अपने पी लिया मैने ।
ख़ुशी ख़ुशी जिंदगी को जी लिया मैने॥
तेरी ख़ुशी मे अपना ग़म हमे कहाँ याद रहता है ।
तेरे जश्न मे आकर खुद को भूला दिया मैने॥
सफ़र मे कुछ दोस्त ऐसे भी तों मिले है ।
दग़ा मिला जिनसे उनको भुला दिया मैने॥
कर्जदार की तरह सूद मे खुशिया देता रहा मुसल्सल ।
इस तरह ग़मों के साथ व्यापार कर लिया मैने ॥
जो हुआ अच्छा हुआ जानता हूँ "सत्य" ।
हुई रहमत खुदा की तों सर झुका लिया मैने ॥
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