QUOTES ON #हड़ताल

#हड़ताल quotes

Trending | Latest
22 SEP 2019 AT 20:28

इश्क़ की गलीयों में भी हड़ताल होगी शायद
जाना अभी तक तेरा जवाब ना आया

-


21 DEC 2019 AT 10:26

अरे हम तो बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था, बलात्कार के विरुद्ध तैयार थे और आप वहम! में आकर कत्लेआम कर आए।

-


21 DEC 2019 AT 10:18

बचपन में पढ़ा था एक कहानी जिसमें एक व्यक्ति को कोई कहता है कि "देखो कौआ तुम्हारा कान लेकर भाग रहा है और बस वह व्यक्ति इतना सुनते ही उस कौआ के पीछे दौड़ पड़ता है, किन्तु अपने कान को छू कर यह देखने की चेष्टा नहीं करता की कान तो अपने जगह पर ही विराजमान है।"

-


10 AUG 2020 AT 7:01

नींद के शहर में अक्सर हड़ताल रहती है
उसकी यादों ने इतना करप्शन जो कर रखा ।।

-


22 FEB 2020 AT 22:58

सेक्युलर होने का मतलब ये नहीं कि हिंदू नमाजी या मुस्लिम पुजारी बन जाए।
सेक्युलर का मतलब है जिओ और जीने दो!🙏
प्रेम से रहो।😌

-


10 DEC 2017 AT 2:08

नीम-ख्व़ाबीदा गुमसुम क्यूँ है?
भूख प्यास हड़ताल पर क्यूँ हैं?
वो अनजान, खोयी खोयी सी,
ये जो हुआ है, ये हुआ क्यूँ हैं?

-


9 APR 2017 AT 21:57

आज क़लम बैठी है हड़ताल पे....
न उठती है, न लिखती है,
माँग है उसकी किसी नये मज़मून की,
और एक नए रंग की स्याही की...
क़लम ही मेरी एक हमदर्द है,
मेरे सब दर्द बयान करती है,
वो ही न मुझसे रूठ जाय
कहीं न मुझसे छूट जाय,
माननी पड़ेगी हर बात उसकी,
सुननी पड़ेगी हर पुकार उसकी
आख़िर क़लम है वो मेरी,
और मेरी आवाज़ भी...

-


3 MAY 2018 AT 9:57

दोष किसी का भी कुछ नहीं इसमें ,
मैं खुद ही खुद की ये हालत कर बैठा हूँ !
चन्द रोज दिल के मातहत क्या रहा ।
उम्र भर के लिए दिमाग से बगावत कर बैठा हूँँ ।।

-


13 OCT 2019 AT 21:03

एक दिन न जाने क्या हुआ...!!
मिलकर विचारों ने हल्ला किया..!!

आज सोने ना देंगे ये कैसी सजा. !!
विचारों की सामूहिक हड़ताल पर मैं फ़िदा..!!

मस्तिष्क में सब और खालीपन था..!!
लिखूं क्या सब और दरवाजों पर हड़ताल लिखा. !!

धीरे से चुपके से निहारा चांद को..!!
चांदनी की नाराजगी में वो मासूम था..!!

देख रहा वो मुझको या मैं उसको देखूं..!!
मेरे ख्यालों से हो कितना मिला हुआ दिखा...!!

फिर विचारों ने तोड़ी अपनी निंद्रा..!!
कलम ने बाहें उठा उठा कर शब्दों को गले से लगाया..!!

जो लिखना था उसको वह सब लिख डाला..!!

-


1 DEC 2017 AT 16:40

खाली थाली रह गया, भूखा मर गया किसान।
कुछ दिन का हड़ताल हुआ, फिर बचा न नाम ओ निशान।।

-