priti Gautam   (कलम_से_प्रीति..✍️)
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Joined 11 November 2019


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Joined 11 November 2019
11 MAY 2023 AT 16:17

मुझे सजती संवरती
लड़कियों
से ज्यादा
किताबों में खोई
हुई लड़कियां
पसंद है ।
मुझे घर के
कामकाज करने
वाली लड़कियों
से ज्यादा
आफिस जाती
हुई लड़कियां पसंद है।
मुझे एक दुसरे
की बुराई करने
वाली लड़कियों
से ज्यादा
तर्क करने
वाली लड़कियां
पसंद है।

प्रीति गौतम

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5 FEB 2023 AT 7:47

है तमन्ना यही कि खुल के मुस्कुराऊं ।
जिंदगी को गीत बना हरपल गुनगुनाऊं।।

न आए कभी ग़म का लम्हा पास कोई।
तेरे लिए जहां की सारी खुशियां ढुंढ लाऊं।।
है तमन्ना यही कि खुल के मुस्कुराऊं ।

मैंने नहीं देखा है कि कल कैसा होगा।
पर कोशिश होगी आज से बेहतर कर पाऊं।।
है तमन्ना यही कि खुल के मुस्कुराऊं।

तुम साथ हो तो हर शय अच्छी लगती है।
तुम्हारे लिए मैं दुनिया को पीछे छोड़ जाऊं ।।
है तमन्ना यही कि खुल के मुस्कुराऊं।।

कितनी भी हो मुश्किल फिर भी न घबराऊं।
हर लम्हा हर पल फिर चाहे संघर्षो में बिताऊं।।
फिर भी है यही कि खुल के मुस्कुराऊं।।

©® प्रीति गौतम






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30 NOV 2022 AT 18:35

मुठ्ठी भर खुशी और आसमान भर का दुःख।
आधा आधा ही मिला , मिला ही नहीं पुरा सुख ।।

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24 NOV 2022 AT 9:05

दुनिया में बहुत कुछ है सोचने के लिए
पर सोचते हैं तेरे सिवा और क्या सोचे।
तेरी बाहों से बड़ी ये पृथ्वी नहीं जिसमें
मैं सिमट सकूं ,
तो इसके सिवा और क्या खोजे ।।
कोई राग कोई संगीत इतना मधुर नहीं
जितनी उसकी आवाज
फिर उसकी पुचकार के सिवा और क्या सुने ।।
मां से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं इस जहां में
तो उसके सिवा और क्या चुने ।।

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7 NOV 2022 AT 10:47

बहुत मुश्किल से मुस्कराना सीखें हैं ।
छोटी सी जिंदगी में कई बार टूटे हैं।।

देख रहे हो रंग बिरंगी फूलों को जो तुम,
किसी की दिन रात मेहनत से फूटे हैं।।

वैसै आस पास में मेरे भीड़ तो बहुत है।
मगर अपनो बिना कब से तन्हा बैठै है ।।

क्या सोचा था क्या पाया है जिंदगी में ।
यही सोच कर खुद ही खुद से रुठे हैं ।।

बहुत मान था खुद पर कि दुनिया बदलेगें ।
नजरे चुराते हैं खुद से कि हम कितने झुठे हैं।।


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8 OCT 2022 AT 12:23

कविताओं में मौलिकता
लाने के लिए
कई महिनों से कुछ
नहीं लिखा जा सका
अब जब इतना वक़्त
गुज़र गया तो
लगता है अब तक कई
अच्छी कविताएं लिखी
जा सकती थी ।
कभी कभी बहुत
अच्छा करने की जिद में
हम अच्छा भी नहीं कर
पाते ।
जिंदगी भी इसी तरह है
बहुत सुंदर जीने की लालसा में
सुंदर जिंदगी भी व्यतीत नहीं
कर पाते ।

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17 SEP 2022 AT 14:00

कभी कभी जिंदगी सजा लगती है ।
जिंदा क्यों है ज़हन में ये बात हर रोज खटकती है ‌।
कभी खुद को गुनहगार समझते हैं ।
तो कभी लगता है इसमें मेरी क्या गलती है
जन्म लेना मेरे बस में नहीं था
मर सकते नहीं और जीने का मन नहीं करता।
बस यूं जिंदगी कभी कभी सजा लगती है ।
एक अरसे से मां की थपकियों ने सुलाया नहीं
न जाने कितने दिनों से पापा की आवाज नहीं सुनी।
ये किस मोड़ पर लाई जिंदगी
जहां हर वक़्त बस बैचेनी है बेकरारी
न अपनापन और न कोई अपना
जब अपनों के बिना जीना पड़े तो
जिंदगी सजा लगती है
बस यूं जिंदगी कभी कभी सजा लगती है।

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7 SEP 2022 AT 23:44

तुम से ही है जिन्दगी मेरी, तुमसे ही मेरी शान है ।
तुम से ही है दुनिया मेरी, तुमसे ही मेरी पहचान है।।

तुम हो तो लगता है कोई न कमी रही मेरे पास है ।
तुम से ही चलती सांसें मेरी, तुममें ही मेरी जान है।।

जन्म दिवस पर आपके क्या और तोहफा दूं आपको।
तुमसे ही है खुदाई मेरी, तुमसे ही मेरी अजान है ।।

दुनिया के सबसे बेस्ट हसबैंड को
जन्म दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं
Wish a very very very very very happy birthday my love





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13 AUG 2022 AT 5:27

हम दो एक जहां हैं ।
बस मुझमें थोड़ा ज्यादा है शहर
तुममें थोड़ा ज्यादा है गांव।
मुझमें थोड़ा गुस्सा ज्यादा है
और तुम जैसे पीपल की ठंडी छांव।

हम दो एक जहां हैं ।
बस मुझमें नासमझी ज्यादा है
और तुम दुनियादारी के बादशाह।
मुझमें थोड़ा भोलापन ज्यादा है
और तुम तेज़ दिमाग के जादूगर।

हम दो एक जहां हैं
बस मुझमें थोड़ा ज्यादा है नई नई चीजें
दिखने का शौक ।
और तुम समुद्र के पानी सा एक जगह स्थिर हो।
मुझमें ब्रम्हांड का टुकड़ा है
और तुम पुरा का पुरा ब्रह्माण्ड हो ।

हां हम दो हैं पर हमारा एक ही जहां हैं ।।

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1 JUL 2022 AT 16:34

जिंदा थी कभी जो वो अब बनकर लाश रहती है।
बहुत कुछ बोलने वाली लड़की अब खामोश रहती है।।
जब दुनिया की बात मानी दुनिया उससे खुश थी ।
कि अपनी मर्ज़ी जब से दुनिया नाराज़ और वो उदास रहती है।।

प्रीति गौतम लखीमपुर खीरी

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