QUOTES ON #स्वाभिमानी

#स्वाभिमानी quotes

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8 SEP 2019 AT 21:40

किसी को इतना सिर पर मत चढ़ाओ,
कि अपने स्वाभिमान को भूल जाओ।।

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5 JUL 2020 AT 8:43

स्वाभिमानी हू मैं,
अपनी औकात भूल जाऊ,
इतनी अमीर भी नहीं हू मैं,
और कोई मेरी औकात बता जाए,
इतनी फकीर भी नहीं हू मैं।

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12 JUN 2024 AT 10:44

अपने स्वाभिमान की रक्षा करो बाक़ी "प्रेम-व्रेम" तो होता रहेगा।
अपने चरित्र की रक्षा कीजिए बाक़ी सफलता तो मिलती रहेगी।

अपने अंतर्मन को शांत रखिए बाक़ी धन-दौलत मिलता रहेगा।
अपने आप पर काम कीजिए बाक़ी बाह्य सहायता आती रहेगी।

अपने मन को साफ़ रखिए बाकी तीर्थ स्थल तो आप जाते रहेंगे।
माता-पिता की सेवा कीजिए बाक़ी आस्तिक तो आप है ही न।

जीवनसंगिनी का सम्मान कीजिए बाक़ी मूर्ति पूजा अवश्य करें।
सबको साथ लेकर चलिए बाक़ी कुछ लोग तो आपसे डरते ही है।

दीन-दुखियों की सहायता कीजिए बाक़ी चेक तो जाता ही रहेगा।
सबसे मिलकर रहिए बाक़ी लोग आपकी जय जयकार करते रहेंगे।

ईश्वर से प्रार्थना किया कीजिए बाक़ी उसने सब कुछ दे ही दिया है।
अपने लिए ईमानदार रहा कीजिए बाक़ी कौन ही देख ही रहा है।

जो भी करना है सच के साथ ही करना है "अभि" आज और कल।
बाक़ी कौन सा आपको हमेशा यहाँ पर ही रहना है एक बार सोचिए।

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28 SEP 2021 AT 16:57

कभी यूँ ही बैठ लिया करो😔🙏🙏

अनुशीर्षक में अवश्य पढ़े.....@@@

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13 OCT 2018 AT 22:34

स्वाभिमानी मनुष्य की मृत्यु के लिए,
'तिरस्कार' ही 'पर्याप्त' है !

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( आज की स्त्री की आवाज )

क्यों कि आज मैं मौन नहीं

रुख करती हूँ ढलती शाम के साथ
और भोर के लिए होती तैयार
आँख तो पहले भी खुलती थी मेरी पर
अब एक नये साहस के साथ
क्यों कि आज मैं मौन नहीं

तुम्हारे कदम चिन्हों पर चलने की जरूरत मुझे महसूस नहीं हुई
मुझे तो चाहिए नई राहो पर अकेले चलने का भार
जो कुछ मिला मुझे यहाँ उसे
वापस दूँगी कर लेना स्वीकार
क्यों कि आज मै मौन नहीं

शुक्रिया उसका जिसने बनाया
मुझे संसार की रचना का आधार
हूँ मैं अब नहीं कमजोर
हिम्मत बन गयी है मेरा श्रंगार
बोलूँगी आज मैं खुलकर
क्यों कि आज मैं मौन नहीं

मैं समझ गयी दुनिया के उसूल इसलिए
नही सहन करूँगी जो हो रहा था सदियों से अत्याचार
नही चाहिए किसी की सहानुभूति
अब खुद लडूंगी पाने को अपने अधिकार
क्यों की आज मैं मौन नही

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24 JUL 2020 AT 21:32

स्वयं की प्रशंसा अभिमानी और स्वाभिमानी दोनों ही करते हैं

अभिमानी करता प्रशंसा खुद को दूसरों से श्रेष्ठ बताने के लिए
स्वाभिमानी करता खुद के भीतर आत्मविश्वास का दीप जलाने के लिए
दोनों ही एक-दूसरे से असंतोष और संतोष सा अंतर रखते हैं
स्वयं की प्रशंसा अभिमानी और स्वाभिमानी दोनों ही करते हैं

अभिमानी की प्रशंसा तो वो अंधकार है जो उसे ही ले डूबता है
स्वाभिमानी की प्रशंसा प्रकाश है जो प्रेरणा का स्रोत दिल में भरता है
दोनों ही एक-दूसरे से तिमिर और प्रदीप सा अंतर रखते हैं
स्वयं की प्रशंसा अभिमानी और स्वाभिमानी दोनों ही करते हैं

जो मिलता नहीं दूसरों से अभिवादन तो अभिमानी विचलित हो जाता है
स्वाभिमानी के आत्मविश्वास को मिथ्या आचरण से फ़र्क नहीं पड़ पाता है
दोनों ही एक-दूसरे से नक़ाब और किताब जैसे अंतर रखते हैं
स्वयं की प्रशंसा अभिमानी और स्वाभिमानी दोनों ही करते हैं

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10 MAR 2021 AT 21:36

मन की गिरह
वो नहीं खोलता
डरता है
शायद ...
कही कोई
दिल और दुनिया
के बीच बनी
दीवार
ढहा न दे

कमजोर
न समझ बैठे
जमाना उसे
इसलिए ...
वो मदद
माँगना भी
फिजूल मानता है

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1 FEB 2018 AT 7:57

हाँ में नारी हूँ ।
शक्तिशाली, स्वाभिमानि हूँ ..

मर्द ही मुझको झुकाता है,
डराता है।
पर नही डरने वाली हूँ....

हाँ में वो ही नारी हूं....
मैं ही मर्द को जन्म देती हूँ..
मैं इतनी शक्तिशाली हूँ....

हाँ मै नारी हूँ......
मैं आखरी सांस तक
लड़ने वाली हूँ।

हाँ मै नारी हूँ.....

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3 FEB 2021 AT 11:55

कमजोरों पे वार करना
नामर्दों की निशानी है
हां पता है मुझे ये तेरी
फितरत खानदानी है
बेशक घमंड होगा तुझे
तेरी दौलत पे,ऐ बेखबर
गुरुर उनके भी कम नहीं
जिनके बटुए भी स्वाभिमानी हैं।

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