ये जो लोग सोशल मीडिया पर,
अच्छी तस्वीरे और चंद लाइन डालकर,
फॉलोअर बढ़ा रहे हैंll
उनके लिए चंद पंक्तिया,
कि रिश्ते कम बनाये,
पर अच्छे बनायेll
और जो बनाये उन्हें,
दिल से निभाएll
🙏🙏-
ये कहानी संस्कार, नये जनरेशन और पुराने जनरेशन की गैप की सच्ची कहानी है जो इस प्रकार है - कृपया नीचे पढ़े 👇👇👇
-
"बेटे की विदाई"
"सोशल एटिकेट्स"... हाँ, बिल्कुल यही शब्द है, जो "तुम्हे कुछ नही आता" से पीढ़ी के साथ साथ "तुम्हे जरा भी सोशल एटिकेट्स" नही है में तब्दील हो गया।
5 बहनों में सबसे छोटी, गरीब परिवार की उस बेटी को जाने कैसे शहर के सबसे मशहूर वकील साहब ने अपने बैंक मैनेजर बेटे के लिए पसन्द कर लिया, घर की सबसे छोटी बहू, सारा काम और काम के बाद का उलाहना सिर्फ उसके कंधों पर, ये समझते कुछ ही साल लगे कि कामकाजी सदस्यों के उस परिवार में उसकी जगह काम वाली बाई से अधिक कुछ नही।
समय समय पर उसे उसके मायके की स्थिति और उस परिवार के लायक ना होने का अहसास करवा ही दिया जाता, मगर बच्चों में दिल लगा चुकी उस आधी स्त्री आधी पत्थर को अब फर्क पड़ना बन्द हो चुका था,
बच्चे..... उनकी भी गलती नही, खून का असर आना ही था, बढ़ते बढ़ते एक नया शब्द सुनाने लगे, "माँ, आपको जरा भी सोशल एटिकेट्स नही है"!
लेकिन अब वो सीख रही थी, बेटी की विदाई पर छुप छुप के ही रोयी थी, इनके स्वर्गवास पर भी दिल मे छुपा दर्द कम ही बाहर आने दिया, मगर आज...
बेटा बहू के साथ विदेश सेटल हो रहा था, हमेशा के लिए, पीछे रह जाती है वो अकेली, ऐसे में रोना है या बेटे बहू की खुशियों में खुश होना चाहिए, कौनसा सोशल एटिकेट होगा, बताने वाला इस विशालकाय घर मे कोई भी नही....-
जिस तरह उन्होंने, हमें सोशल मीडिया पर block,,
किया है,,,,,
लगता है, उसी तरह जल्दी है हम उनकी जिंदगी,,
से भी block हो जायेगें,,,,-
ये जो स्टैटस मे लव रिएक्ट करते हो ना
ये डायरेक्ट दिल पर ठाय लगता है.. 😂-
कौन कहता है माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी साथ-साथ नहीं रह सकतीं
जिसके सर पर माँ सरस्वती का वरद हस्त होता है उसके पास माँ लक्ष्मी स्वत: खींची चली आती हैं
रानू मंडल जैसे नगीने को कीचड़ से उठाकर तराशने वाले हीमेश रेशमिया जी और सोशल मीडिया का कोटि-कोटि आभार🙏🙏👌👌👍👍👏👏
-
बूढ़ी हो गयी नन्ही आँखें
आ गए चश्मों के दौर
डब्बे में बंद है खेल खिलौने
चुप है वो बचपन के शोर-
वो दौर भी क्या दौर था जब इंसान था इंसान से
बुजुर्ग थे जब घर में बैठे परिवार जुड़ा था प्यार से
आज इस आधुनिक युग में इंसान जुड़ गया फ़ोन से
बैठ घर में घरवालों से बातें जो होती कॉल से
माता बैठी घर पर तेरे इन्तजार में रहती है
कब आएगा बेटा मेरा बातें बहुत करनी है
आया बेटा लगा चैट पर ख्वाईश ना माँ की पूरी होती है
बैठ अकेली घर में तेरे बस रोती हर वक़्त रहती है
अरे कल क्या होगा युवा तेरा कहाँ तू खोया रहता है
भूल कर जो अपनों को तू सोशल मीडिया पर रहता है
-
हकीकत में सोशल डिस्टसिंग का पालन वहीं लोग अच्छे से कर रहे हैं, जो काम निकल जाने के बाद दूरी बना लेने में माहिर होते हैं.
-