rumaisa  
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लिखती हू ताकि खुद को महसुस कर सकू!!
Joined 10 August 2019


लिखती हू ताकि खुद को महसुस कर सकू!!
Joined 10 August 2019
YESTERDAY AT 9:16

शब्दों के अर्थ झूठे हैं

कुछ नहीं बनता जायज का
रिश्ते नाते बाकायदे झूठे हैं

तुम ख्वाब देखो रसमन के
हाथों के डोर कच्चे हैं

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23 APR AT 13:46

जख्म ए खंजर मुझ को गवारा मिला है

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22 APR AT 21:43

What is life..
Is it a race, then who is the driver
Is it a pace, then who is the instructor

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22 APR AT 16:18

तू मुझसे मिलने आती है _ बरसात साथ ले आती है
ढह पड़ते हैं छत मेरे _ ऐसी मुलाकात क्यू लाती है

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19 APR AT 8:17

जहाँ शिव और गौरी है,
प्रेम मोह हो ही नहीं सकता

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14 APR AT 11:50

सुपरमार्केट से निकलते वक़्त
हाथ मे झोली थामे,
जोड़ घटाव कर रही थी
हिसाब का, समान का.
कौन सा कोष से,
कितना धन निकासी हुआ.

सामने होर्डिंग पर बड़े से
अक्षर पर लिखा था,
नामी डॉक्टर के नाम पता

एक बूढे बाबा अपने पोता
को हाथ मे थामे, देखे जा रहे थे
उसका पोता, दादा को देखकर
घूरे जा रहा था

मैं देख रही थी,
कब काम पड़ जाए
जिम्मेदारी भी तो है

एक होर्डिंग और इतनी सारी आँखे


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11 APR AT 19:16

लगता है शिद्दत से मोहब्बत नहीं हुई
घंटों के बाद भी पिक्चर पोस्ट नहीं हुआ

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10 APR AT 23:04

भीड़ का हिस्सा नहीं बन पाती मैं
लगता है किसी दिन कुचली जाऊँगी

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9 APR AT 6:26

उसने मुझसे बेवफाई की है
इतनी जल्दी मरूँगा नहीं मैं

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3 APR AT 20:40

फकत एक फूल भी ना खरीदा गया मेरे लिए
मैं चीन की दीवार बन खड़ी थी उसके लिए

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