Rituraj Bawiskar   (ऋतुराज.)
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Joined 9 September 2018


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13 FEB AT 10:40

ये ख़्वाब, ये ख़्वाहिशें, ये तमन्नाएं ऊंची ऊंची
आती है बोसे लिये जाती हैं।
मुफ़लिसी का आलम ये के बटुवे में दुबकी हुई कटी फटी हरी पत्ती मुँह बनाती है, आँखे दिखाती है।।
*बोसा-चुम्बन
13/02/25

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8 FEB AT 0:25

गुलाब सभी दे सकते हैं…,
मैं हर"रोज" साथ दूंगा…!!!

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30 DEC 2024 AT 19:11

बेवक़्त, बेवजह जो चली आए…!!

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30 DEC 2024 AT 4:34

बरबस वो पल भी आया, जो आख़िरी था।

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9 DEC 2024 AT 7:39

बेशकीमती ज़ेवरात है ये,
दोस्त का दोस्त के गले मे हाथ है ये…!!

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9 DEC 2024 AT 0:16

Far apar from the 9th CLOUD!!!

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9 DEC 2024 AT 0:10

बताया था ना कर…फिर तूने वो खता कर ली।
महबूबा की इबादत और जमाने से अदावत कर ली।।

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30 NOV 2024 AT 8:56

लेकीन हद से ज्यादा अच्छे बनो
तो कीमत भी चुकानी होती है…!!!

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29 NOV 2024 AT 23:55

वो
मिला भी
तो कुछ ऐसे
अहसान उतार रहा हो
कुछ पुरानी मुलाकातों के जैसे ।।।

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29 NOV 2024 AT 23:28

जब दोस्त Call कर के नहीं…,
नाम ले कर बुलाते थे !!!!
#बचपन

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