जमीं पर ठिकाना ढुंढते हैं...,
हम परिंदे अपनो के बीच ही आशीयाना ढुंढते हैं !!!-
Rituraj Bawiskar
(ऋतुराज.)
755 Followers · 323 Following
चंद लफ्जो में बयां करते हैं एहसास अपने,
हमे लफ्जो की माला पिरोना नहीं आता.
क्या करे आदत से म... read more
हमे लफ्जो की माला पिरोना नहीं आता.
क्या करे आदत से म... read more
Joined 9 September 2018
24 AUG AT 15:25
20 AUG AT 11:08
बादल जज्बातों के उमड़ते तो बहोत हैं,
पर भावनाओं में आजकल बहता कौन है.. !!-
30 JUL AT 7:36
जमाने के डर से परिंदो सा आझाद होना है
करीब आ, मुझे तेरी बाहो मे कैद होना है..-
21 JUL AT 11:51
माय मराठी ची
मायला.... "मराठी"!
व्हायला नको असेल तर हात उगारून नको हात धरून शिकवा !!!
# मराठीत बोल
-
15 JUL AT 8:11
हैरत है के तुने हमे भी ठुकराया ऐ "जिंदगी",
हम जैसे लोग तो सिने से लगाने के लिये हैं !!!-
13 JUL AT 13:41
वक्त ने कहा था कभी, तेरा ही हूँ!
मैं आऊंगा जरूर बस थोडा इंतजार कर...
मैं कमनसीब उसके दिलासे मे आ गया...
वो जो गया तो ना आना था उसे ना वो आया
आज फिर याद दिलाया, तो बोला
आज इतवार है थोडा तो सबर कर....
..... बस थोडा इंतजार कर !!!
-
11 JUL AT 13:36
सुनो,
जब भी अकेले बैठो कुछ उमदा सोचा करो!
शायद कोई शेर, शायरी या गझल सुझ जाए....
वरना ये ना हो बेखयाली मे ये जिंदगी बेफजूल बित जाए.... !!!-