:--स्तुति
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न जाने कितने दोस्त दुश्मन समझते रहे
क्यों हम काँटों को सुमन समझते रहे-
रूप तुम्हारा कण कण में व्याप्त
खुशबू से आंगन महकाया है
हे सुमन जब से मैंने तुम्हें
अपने बगीचे में सजाया है
एक अनंत चीर स्थायी सुख पाया है
कितना भी तुम्हें निहार लूं
मेरी आंख नहीं भरती
एक मृगतृष्णा भर दी जीवन में
तुम्हें देख देख प्यास नहीं बुझती
सोचती हूं अक्सर उस जादूगर की
जादूगरी एक नन्हें से फूल में
उसने कितनी जिंदगी भरी
सकारात्मक ऊर्जा जो देता है
मैं प्रकृति का उपहार स्वयं कहता है
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जब से तेरी देह को छू आये हैं नयन
भूल गया हूँ भोजन भूल गया शयन
लगता है तेरी देह को छू आयी है पवन
महक उठी हैं साँसे बहक गया ये मन
छूती मेरी उँगलियाँ जब भी तेरा तन
लागे जैसे बाँसुरी को चूमते किशन
वन में खोजे कस्तूरी भटक रहा हिरन
लगाले तू गले और मिटा दे ये अगन
भँवरे की छुवन से खिल जाने दे सुमन
सृजन है प्रकृति प्रकृति है सृजन-
मौत अटल हैं , अटल की भी न टल सकी,
श्रद्धा सुमन तू अटल पथ पर बिखर जाना।
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# 07-07-2021 #काव्य कुसुम # सुसंस्कार #
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सुसंस्कारों के फूल खिलने पर ही हमारे जीवन का पतझड़ दूर हो सकता है।
महकते-मुस्कराते फूलों के खिलने से ही हमारे जीवन का नैराश्य खो सकता है।
अपने जीवन को सुसंस्कार देकर सुंदर और सुरभित फूलों से अन्तर्मन को महकाओ -
सुसंस्कर के सुरभित सुमन की महक से ही व्यक्ति चैन की नींद सो सकता है।
============= गुड मार्निग ==========-
# # 11-10-2021 #,काव्य कुसुम # संयम #
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जीवन में दुःखों का मूल कारण संयम का अभाव है।
जीवन में सुखों का प्रस्फुटन संयम का प्रभाव है।
डिगे न कभी संयम जीवन का, संयम भाव बना रहे -
जीवन में ख़ुशी का उत्सर्पण संयम का प्रभाव है।
== गुड मार्निंग ==जय श्रीकृष्ण ==शुभ प्रभात ==-
भरी जवानी में माँ के चरणों में
कर दिया अपने प्राणों का समर्पण
रहेंगे अमर हमारे दिलों में वो
अपने शब्दों के करती हूँ श्रद्धा-सुमन अर्पण-
न जाने ऐसी सुरभि किस सुमन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है
क्या अगर से आती है, या चंदन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है
बुझती है जब प्यास, या जलन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है
विष है या अमृत है, देह मंथन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है
सावन सी प्यासी है जो, उस यौवन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है
कस्तूरी का संधान करे जो, उस हिरन से आती है
एक अलग सी खुश्बू तेरे बदन से आती है-