ये बाग़ है गौतम नानक का खिलते हैं चमन के फूल यहाँ गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक, ऐसे हैं अमन के फूल यहाँ रंग हरा हरी सिंह नलवे से, रंग लाल है लाल बहादुर से रंग बना बसंती भगत सिंह, रंग अमन का वीर जवाहर से
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ये इश्क़ कुछ सिख इस दिल से
...साथ कैसे निभाते हैं,
सिर्फ़ हम अच्छे दोस्त हैं, कह कर प्यार कैसे निभाते हैं..!!-
फ़िक्र भी बहुत था....
कदर भी बहुत था...!
बस सब्र नहीं था....,
पर अब धीरे- धीरे ...
वो भी करना सिख लिया हैं...
" मैंने"-
अगर कोई सिख लें तो सबक है और ना सीखे तो सज़ा
ये इश्क़ भी न जाने किन किन राहों के इम्तहान से गुजरता है ..!!-
कुछ बाते मानकर
कुछ बाते मनवाकर
सिख लिया हैं यू ही
सारे रिश्ते निभाना-
सीखना मत छोड़ना, समय के साथ सीखते जाना है।
सीखकर अपनेआपको पहलेसे बेहतर करते जाना है।
एक प्रतियोगिता ही है जिंदगी हर कोई लगा हुआ है।
तुमको दूसरों को हराने के लिए नहीं जीतने जाना है।
दुनिया कोशिश करेगी तुमको हराने की, तोड़ने की।
पर तुमको लड़ते जाना है और आगे बढ़ते जाना है।
कोई कुछ भी कहेगा तुमको कभी भी सुनना ही नहीं।
तुमको अपने लक्ष्य से बात करनी है, आगे जाना है।
कर्मप्रधानदेश है अपना "अभी", कर्म करते जाना है।
फल की चिंता नहीं करनी है, बस कर्म करते जाना है।-
नज़रिया हो ..
अगर बच्चो वाला...
तो गलत से भी...
हम सही सिख सकते है...!!
हमें बिगाड़ने वाले ...
ताश के पत्तों में भी...
जिंदगी सुधारने वाले ...
अक्षर दिख सकते है....!!-