जाते जाते भी अपना हुनर दिखा गई
खुद को सही,मुझे गलत साबित कर गई
मैंने भी मुस्कुरा कर सारे गुनाह कबूल कर लिए,
वो वफ़ा की मूरत,मुझे बेवफ़ा साबित कर गई-
आओ साथ बैठ के दो चार बाते करते है
कुछ तुम मेरी गलतियाँ बताना कुछ हम
तुम्हारी गिनाते है
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आओ साथ बैठ के दो चार बाते करते है
कुछ तुम मेरी गलतियाँ बताना कुछ हम
तुम्हारी गिनाते है
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वक्त पर छोड़ देना कुछ फैसले ।
मत हारना तुम कभी हौसले ।
है कौन कितना अच्छा ?
है कौन कितना सच्चा ?
वक्त बता देगा खुद ही ।
बस तुम हर बार ।
ख़ुद को साबित मत करना।
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हर रोज़ थोड़ा-थोड़ा मर रहा हूँ
ख़ुद को बेवफ़ा जो साबित कर रहा हूँ
- साकेत गर्ग-
तुम्हारे लिए खुदको साबित करते करते
खो दिया अपने आप को खामोश रहते रहते।
ये सोच कर घुटन होने लगा की
किस बेवफा के हाथ लग गई,
जो रुला रहा है मुझको
खुद हंसते हंसते।-
गम इस बात का नहीं है इल्ज़ाम झूठे लगे,
दुख इस बात का है कि साबित सच हुए ।-
फिर सोच लेना तुम,
जो मेैं न कह सकी,
अगर कहोगे मोहब्बत साबित करो,
तो ये मेरी खामोशी ही सही ||-
इरादा किया है तो छा ही जाओगे
ख़ुद के लिए जो सोचा है वो पा ही जाओगे
लगा लो पंख सपनों में अपने बुलंदी पर पहुंच ही जाओगे
ख़ुद को ख़ुद से ही लुभा जाओगे-