लूट-मार के गवाह होते हैं आस्तीन के साँप
मक्कारी की पनाह होते हैं आस्तीन के साँप
आपके पीठ पीछे ही बसती है इनकी दुनिया
वैसे तो हर जगह ही होते हैं आस्तीन के साँप
घर में होकर भी कभी घर के नहीं हुआ करते
बेवजह की ये कलह होते हैं आस्तीन के साँप
धोख़ा देना तो इनका जन्म सिद्ध अधिकार है
सिर्फ़ अपनों में बिरह होते हैं आस्तीन के साँप
जब भी कोई तड़पता है तो इनको हँसी आती है
बेईमानी की एक सतह होते हैं आस्तीन के साँप
समझदारी इसी में है कि इनको कभी ना पालो
बर्बादी का अलग ग्रह होते हैं आस्तीन के साँप
ज़रा दूरी बनाकर रखना इनसे हमेश़ा "आरिफ़"
गंदगी की एक गिरह होते हैं आस्तीन के साँप
अपने आप को "कोरा काग़ज़" जैसा दिखाते हैं
ज़ुल्म की असल वजह होते हैं आस्तीन के साँप-
आजकल ज़माना जाली!
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चेहरा साफ़, दिल में दाग़ !!
मुँह पर आप, पीठ पीछे साँप !!-
मैं खुद को आग न कहता
तो भी वो उतना ही जलते
मुझे ख़बर है मेरे आस्तीन में
कितने जहरीले साँप हैं पलते
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नाप लेता है मेरा दर्ज़ी, तो पूछा करता है मुझसे,
दोस्त ज़्यादा हों, तो आस्तीनों में गुंजाइश रख दूँ..-
जमघट बनाकर साँपों की, खुद हम सपेरे है।
जो लोग कल तक तेरे थे, वो सब आज मेरे है।-
बीते कल के चंगुल से वो कुछ यूँ निजात पाता है,
केंचुली अपनी पीछे छोड़, ख़ुद आगे बढ़ जाता है!-
इतना जलोगे मुझसे जानता न था
आग है मुझमें मैं ये मानता न था
मेरी आस्तीन के साँप हो तुम
गलती ये मेरी पहचानता न था-
रोशन किया जिन्हें वो ही जलने लगे हैं
बन के साँप आस्तीन में पलने लगे हैं
उठ गया है भरोसा इस जमाने से
हम आजकल अकेले ही चलने लगे हैं-
प्रिय साँपों,
वापस आस्तीनों में समा जाओ,
फ्रेंडशिप डे समाप्त हो चुका है....!-
चढ़ता हूँ जब जब
तेरी यादों की सीढियाँ
डसती हैं मुझे
साँप बनकर-