हर किस्सा हर कहानी बदनाम है।
मोहब्बत का चर्चा आजकल सरेआम है।
कुछ हैं ख़ास, फिर भी आम हैं।
एक दूसरे के नज़रों में, लगते दोनों बदनाम हैं।
नाम की है वाह- वाही बस,
और अधूरा सा हर काम है।
गलती है किसी और की,
और लगता किसी और पर इंजाम है।
बड़ा सब्र रख पढ़ रहें हैं जिस खत को,
कौन जाने ये किसका पैगाम है?
मुनासिब नहीं की हर बात समझी जाए।
हर कहानी को गढ़ना बड़ा तसल्ली का काम है।
हर किस्सा हर कहानी बदनाम है।
मोहब्बत का चर्चा आजकल सरेआम है।...-
दिल की खुशियां यू ही नीलाम हो गई।
महफिल में तू सारे आम अंजान हो गई।।-
नहीं आता तो मत निभाओ न ये आशिकी
सरेआम इश्क को बदनाम करना अच्छी बात नहीं-
नज़रें नक़ाब में रखकर क्या छुपा रहे हो
पहले कहाँ थी शर्म जो अब घबरा रहे हो
पर्दे के पीछे कौन कैसा किसको पता
सरेआम तुम हमें टोपी पहना रहे हो-
हर रिश्ते में तुझे मान दिया है
हर लफ़्ज में तेरा नाम लिया है
कुछ भी कर ले दुनिया वाले
ये इश्क़ मैंने सरेआम किया है-
नेकी करके हमने खुद को कैद किया हुआ।
तुम कत्ल करके भी आज सरेआम घूमते हो।-
याद तुझे मैं सुबह-शाम कर रहा हूं ।
पुरानी यादों से दिल को आराम कर रहा हूं ।
दिल पागल है फिर भी तुझे ढूंढता है ,
इसलिए आजकल जाम सरेआम कर रहा हूं।।-
बहुत हुआ छिपना छुपाना, खुले-ए-आम प्यार दे दूँ क्या...
मुझे बस इश्क है तुमसे, ये अखबार में इश्तहार दे दूँ क्या।-
हमारी बरबादी के दावे अब सरेआम हो गये हैं,
तेरे दिए जख्मों के मरहम अब तमाम हो गये हैं,
तुझे याद करने की कोशिशों में अब हम नाकाम हो गये हैं,
गया है तू जब से देख किस कदर आबाद हो गये हैं।-
वो भर बाज़ार में नजरो से ही कत्ल- ए- आम कर गए।
हमारी एक तरफा महोब्बत को वो कुछ यूं सरेआम कर गए।
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