बारिश धूप से शिकायत न रहे,
हर मौसम में जो गुलज़ार रहे।
मुझे प्रेम में गुलाब नहीं,
सदाबहार होना है।-
पतझड़ कहीं सदाबहार न बन जाए
तेरी बातों का स्क्रीनशॉट ले लिया मैंने।-
गुल होंगे गुलजार होंगे ,
जो पतझड़ है बहार भी होंगे ,
वक्त को भी वक्त दो ,
जो बहार हैं सदाबहार भी होंगे ...-
उम्र की दहलीज़ों को कहां कुबूल किया है इश्क़ ने,
ये तो तब भी वही था और अब भी वही है....-
कहकर अलविदा...
वो चला गया इस दुनियां से
जो कभी दिलो को रोशन किया करता था
अपने लिखे शब्दों से।-
ख़ूब कहा लोगों ने हमें कि हमनें उन्हें बदनाम कर दिया,
ख़ूब कहा लोगों ने हमें कि हमनें उन्हें बदनाम कर दिया।
ऐ हुस्न के चाहने वालों ज़रा हमसे भी तो पूछो कि उस हुस्न ने हमें किस तरह बरबाद कर दिया।
Sandeep Sanga
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दिलकश हो दिलदार हो,
तुम तो मेरा प्यार हो,
और इस हकीक़त से तुम अनजान हो,
ना सब्र का इम्तिहान ले गालिब,
इस क़दर की मेरा प्यार छुट जाए,
और मेरा दिल,मेरे दिल से रूठ जाए!!-
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए ...
प्यार से भी ज़रूरी कई काम है ,,
प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए ....
तन से तन का मिलन हो ना पाया तो क्या
मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं
खुशबू आती रहे दूर से ही सही
सामने हो चमन कोई कम तो नहीं ....
चाँद मिलता नहीं , सबको संसार में
चाँद मिलता नहीं ,सबको संसार में
है दिया ही बहुत रोशनी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ......
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए.....!
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