बुरे वक्त ने बहुत कुछ सिखाया,
झूठ का परचम लहराते दिखलाया।
पथ भ्रष्ट होने के मौके थे हज़ार,
स्वार्थ से ऊपर उठना था दुश्वार।
अनैतिक रास्ते प्रचलित और सुगम थे,
नीतिपूर्ण रास्ते लंबे सुनसान दुर्गम थे।
आसान तरक्की किसको अप्रिय है?
बिन मेहनत मुनाफ़ा तो शिरोधार्य है।
दुनियादारी ने मन को बारंबार बहकाया,
असाधू आचरण को बहुत ललचाया।
आत्मा ने अखंडता को स्वतः जगाया,
भ्रमित चिन्तन को सही दिशा दिखाया।
सत्यनिष्ठता का पाठ पढ़ाया नहीं जाता,
विवेकपूर्ण व्यवहार सिखाया नहीं जाता।
ज्योतिर्मय अन्तर्मन महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है
सत्य के जटिल रास्तों का पथ प्रदर्शक है।-
@सत्यनिष्ठा👉
इसका तात्पर्य अपने कथनों एवं कृत्यों में #ईमानदारी व #सुसंगति बनाये रखना है।अर्थात किसी व्यक्ति के न केवल नैतिक #सिद्धांतो और मूल्यों के बीच सुसंगति होनी चाहिए बल्कि उसके नैतिक #सिद्धान्तोंऔर व्यवहारों के बीच भी सुसम्बद्धता होनी चाहिए।
उदाहरण के लिए -अगर कोई व्यक्ति अपनी छिपाई जा सकने वाली गलती को उजागर कर उसके प्रति #क्षमाप्रार्थी ह है तो, यह उसकी #सत्यनिष्ठा हैं।-
प्रयास कभी विफल नहीं होते, बस प्रयास करते समय सत्यनिष्ठा, लगन व एकाग्रता होनी चाहिए।
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✍️"ममता, सत्यनिष्ठा व कर्तव्यपरायणता, नारी की महानता के कारण हैं!"✍️
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हँसकर ही बताना व कुछ जताना ही शायद आता था उन्हें, और कुछ नहीं!
जब भी उनकी ओर मुड़ा मैं; तो उन्हें कभी गंभीर तो कभी मुस्कुराते पाया!
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जीवन में उनके खुशियाँ ही खुशियाँ हों जैसे, व कुछ अड़चन भी मैंने देखा!
दुख देख दर्द भी हुआ व खुश देख खुशी भी हुई; जब उन्हें मुस्कुराते पाया।
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सभी निर्णयों में उनका मुझे अत्यधिक प्राथमिकता देना, बड़ा अच्छा लगा!
कभी उपहारस्वरूप मुझसे कुछ भी न लेना, ठुकरा देना, बड़ा अच्छा लगा!
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जिंदगी के महत्वपूर्ण पलों व अवसरों में, उनका शामिल होना अच्छा लगा!
बातें कम करके व कर्तव्य पर केंद्रित दूर रहकर भी साथ होना अच्छा लगा।
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कभी सरलता से सरलतम कभी कठोर बन अपने सादगी का प्रमाण दिया!
कभी मुझे मनाने, पूछताछ बन्द करने की सोच, नाराजगी का प्रमाण दिया!
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कभी अच्छे से अच्छे विचारों को प्रस्तुत करके भी स्वच्छ मन का प्रमाण दिया।
यह काम किया, कह सामने मेरे सदा सत्य वचन, उन्होंने सदा मेरा त्राण किया!-
सत्यनिष्ठा
उठ बैठ तनिक अब देर नहीं...
कसले कमर अब शोर नहीं...।
अल्सायी पलकें खोल ज़रा...,
स्वर्णिम किरणों को गले लगा।
सत्यनिष्ठा के पंख सजा ,दे वेग उन्हें अब जोश जगा ।
कोरे कागज़ पर किस्मत बुन...
जो सुनी नहीं वह ताकत धुन...।
सच्चाई की स्याही से ,श्वेत वर्ण के मोती चुन।
पथभ्रमित क्षण भर न हो,
अंगद से ,ले पैर जमा
हर अंधियारे को जगमग कर ,नव प्रकाश सा जुगनू बन।
है..ज़िद.....
सत्यनिष्ठा को अपनाना है।
जीवन को सफल बनाना है।
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समय का सदुपयोग
सत्यनिष्ठा सिखाती है हमें
सत्कर्म करने के लिए
प्रेरित करती है।-
सदाचार और सत्यनिष्ठा जीवन रूपी निर्झरिणी के ऐसे पवित्र जल हैं जो कितने भी खारे समुद्र में क्यूं ना मिल जाएं,उनका स्वाद कभी नहीं बदलता है।।
शुभ प्रभात ....आपका दिन शुभ हो।।
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