माँ.... त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति🙏🙏
वह अपनी दिन भर की थकान,
बच्चों की मुस्कुराहट देख कर मिटाई है।
सब को भरपेट खिला कर कई बार,
खुद आधे-पेट खा कर सोई है।।
बच्चे की हल्की बुखार पर भी उसने,
पूरी रात जाग कर बिताई है।
लेकिन अपने सिर का दर्द,
वह तकिये से दबा कर शांत कराई है ।।
अपने बच्चों की ख्वाहिशों के स्वेटर,
खुद की तमन्नाओं के धागों से बुनाई है।
कुछ इस तरह हर इक मां ने,
साधारण से घर को स्वर्ग बनाई है।।-
नववर्ष....नवचेतना...नवनिर्माण ❣️
मिली होगी कुछ में हार ,
कुछ पल होंगे आप जीते,
कुछ सुख-दुख, उतार-चढ़ाव
संग 2023 हैं आपके बीते।।
आगे भी होंगी कुछ चुनौतियां,
कुछ संघर्ष भरे क्षण ।
पर हम बढ़ते रहेंगे सदैव आगे,
संग आत्मविश्वास की नूतन किरण।।
❤️ नूतनवर्ष की शुभकामनाएं❤️-
उम्मीद
उम्मीदें देती हैं खुशियां,
लाती हैं मन में उमंग,
जगाती हैं कुछ बेहतर होने की आशा।।
लेकिन.....
जब टूटती हैं उम्मीदें तो,
देती हैं दुख,
तोड़ती हैं विश्वास,
लाती हैं मन में निराशा ।।
पर....
विशेष बात तो ये है कि,
उम्मीदें बनती हैं... टूटती हैं,
परंतु कभी मरती नहीं हैं उम्मीदें ।
हर रात के साथ
सो जाती हैं टूटी हुई उम्मीदें,
और हर उगते सूरज के साथ जगती है
उम्मीद की नई किरण ।
बेहतर से बेहतरीन होने की उम्मीद में ही
छिपा है जीवन जीने का राज,
इसी उम्मीद में चल रही है दुनिया ।
फिर वो उम्मीद चाहे अपने आप से हो,
या फिर किसी अपने से ।।-
05-सितंबर... #शिक्षक_दिवस
दी जाती रही हैं एक शिक्षक को कई उपमाएं ।
देखी गई उसमें कभी एक दीपक तो कभी कुम्हार की भावनाएं...।
यह सच भी है,
वो करते हैं रोशन कइयों की जिंदगी,खुद को जलाकर।
बनाते हैं अंदर से परिपक्व, बाहर से संवारकर।।
हैं इनमें से कई के घर अभी भी कच्चे या आधे-पक्के।
पर वही रहे हैं निर्माता डॉक्टर्स और इंजीनियर्स की नींव के,
जिस पर आज कइयों ने खड़े कर लिए हैं आलीशान बंगले।।
नहीं है भले ही उनके पास चलने को महंगी कार,
पर दी है इन्होंने ही कई वैज्ञानिकों के सपनों को उड़ान,
जो आज चांद पर पहुंचकर किए हैं वर्षों पुराने सपने को साकार।।
नहीं है उनकी सैलरी लाखों या करोड़ों में
पर....पर....
वास्तव में उन्होंने ही कमाया है असली धन...
अपने बेशकीमती इन होनहार शिष्यों के रूप में,
जिनसे आज रोशन है यह देश और जिनसे है ये सम्मान ।।
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ये जो आज चांद पर लहराता तिरंगा है,
ये हम भारतीयों के त्याग और
समर्पण की गाथा है।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳
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When we born, It iz pre-decided that who is our mother...who is our father and all other relatives..
But friendship is the only relationship which we decide ourselves without the interference of anyone.
Try to figureout all the misunderstandings if any and respect that one of the purest form of relationship.
Enjoy the bonding which you have with your friends..
#Happy_Friendship_Day..💗❣️
#The_Day_which_belongs_to_selfmade_relationship❣️-
#THREE PHASES OF A LOVE STORY
तुम्हारे संग प्यार में रहकर लगाव हो गया था खुद से,
समझ पाया था मैं अपने जिंदगी के सही मायने।
रूबरू हुआ था मैं संसार के कई पहलुओं से।
अकेले में भी अहसास होता था पूर्णता का भाव।
तुम्हारी खुशियों में झलक रहा था मेरे जीवन का लक्ष्य।
मैं सुन पा रहा था बहते झरनों संग बजते हुए गीत,
समझ पा रहा था कवियों की कविताओं में पिरोए भाव,
महसूस करने लगा था मुस्कुराते चेहरे के पीछे का दर्द,
और सीख लिया था दर्द में भी मुस्कुराना।
पूरे होते दिख रहे थे चांदनी रात में देखे हुए सारे सपने,
सुहाना सा लग रहा था मंजिल तक का सफर।।
लेकिन अब नहीं सुनाई देते झरनों के बीच वो गीत,
नीरस हो गई हैं नदियां,
बनावटी लगने लगे हैं दुनिया के रंगीन चेहरे।
वीरान सा लगता है लोगों से भरा संसार भी।
धूमिल से हो गए हैं साथ देखे हुए सारे सपने,
और ओझल हो गई है वो मंजिल,
जिसे पाने के जुनून में घुल जाते थे संघर्ष के सारे रंग।
पर वो प्यार जो खुद से हुआ था,
वो कम नहीं होने देंगे हम।
पूरे करेंगे वो सारे वादे,जो मैने खुद से किए थे
तुम्हारे आने से पहले।
इससे इतर बढ़ रहा है वो स्नेह,
जो मां से पाया है मैने जन्म से ही।
तुम्हारे संग प्यार से ये अहसास किया है मैने,
होना चाहिए जिंदगी में प्यार, ना की प्यार में जिंदगी।
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मानव तरक्की कर रहा है...!!
इसने विकसित कर लिए हैं -सुख-सुविधाओं के कई साधन।
प्राप्त कर ली है इसने विजय,अनेकों जानलेवा बीमारियों पर भी।
आज सक्षम है गहरे समुंदर में तैर पाने में,
उड़ भी रहा पंख पसार खुले आसमानों में।
यहां तक कि बना डाले हैं इसने मशीनी मानव,
जो समझ सके उसकी भावनाओं को।
बांट सके उसका अकेलापन
और सहभागी बने उसके सुख और दुःख में।
पर..... पर....
मानव की इस तरक्की से,
पिछड़ती जा रही मानवता।
उससे निर्मित यंत्र तो कर रहे सेवा,
निभा रहे यथासंभव अपना योगदान भी,
उसके विकास और विस्तार में।
परंतु मानव दूर होता जा रहा मानव से।
अब वो नहीं समझना चाह रहा दूसरे के मन की भावनाएं।
नहीं आहत होती उसकी अंतरात्मा,
दूसरे के शहर को वीरान होता देख कर भी।
शायद उसके बस का नहीं रहा,दूसरे के दुखों को बांट पाना।
और नहीं रहा समय किसी और के सुख में सरीक होने का।
यह सच है "कुछ पाने के लिए, कुछ खोना पड़ता है"....!!!!
निः संदेह मानव ने भी खो दी है "मानवता"।
इस तथाकथित उन्नति की भागदौड़ में।
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संघ को मजबूत करने के बहाने संघीय शासन व्यवस्था को क्षीण करने का प्रयास...!!!!
#_IAS_Cader_Rules_1954
(Amendment)-
मैं ही हूँ मातृत्व की ममता,
मैं ही तेरे पुरुषार्थ की क्षमता।
है सृष्टि का निर्माण हमसे,
हर नए अंश का प्राण हमसे।
इस चराचर जगत की मैं आधारस्तम्भ हूँ
मैं नारी हूँ....
कितनी भी लगाई जाती रहें सामाजिक बंदिशें मुझ पर,
मैं हर बार समाज को नई राह दिखाउंगी।
समाज भले ही बांधे रखना चाहता हो
परंपरावादी जंजीरों से पैर मेरे,
पर मैं इसे भी तोड़ ऊंचे आसमां तलक
अपना आशियाना बनाउंगी।
खुद के ना जाने कितने ही दुख संजोए,
दुनिया के लिए मैं प्यार का अथाह सागर हूँ।
मैं नारी हूँ।।
#विश्व_महिला_दिवस
#ममता और प्यार के प्रादुर्भाव का दिवस💗💗-