प्रियंका Pandey  
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Joined 26 February 2024


Joined 26 February 2024

तू मुझसे दूर जा सकती नहीं..
तेरी गलियों पे मेरा पेहरा है...
तू मकान चाहे जितने बदल....
तेरे घोंसले में घर बनाया है मैंने...
सुना है...जौनपुर के बाजू...में आजमगढ़ में तेरा बसेरा है....
तू मुझसे दूर जा सकती नहीं......😘

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चंचल भई बसंत बहार
मंजरी की मधुशाला देखो, कैसा चढा इसका खुमार
सरसों की यह पीली चादर,पीत रंग की भरी फुहार..
लाया होली का त्योहार ...
लाल रंग के सेमल देखो,फागुन संग ही आते हैं...
नील गगन के यौवन पर अलंकार से छाते हैं।
रंग गए सारे किरदार..अजी रंग-बिरंगी तितली जैसे।
नाच रहें हैं झूम-झूम कर .,जैसे भंग पिये हों शिव के जैसे । इन्द्रधनुष सा उड़े गुलाल .,कोई है नीला ..कोई है लाल.. घनश्याम के वृन्दावन में..,चहूं बिखरे हैं फूल गुलाल..।
मगन दिखे मोहे सब ऐसे, अजी मग्न दिखे मोहे सब ऐसे..
नाच रहे संग माधव जैसे ....।
ऐसे रंगो की बहार..,लाया होली का त्योहार..,
आया होली का त्योहार ...।







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आँखों को जो सुखद लगे ,वह पुष्प बनो।
कानों को जो मधुर लगे ,वह वाणी बनो ..।
सबके दु:ख को हरने वाले ,गरल द्वेष का पीने वाले
शिव से बनो।
सुख - दु:ख में जो साथ निभाए;अहंकार न छू कर जाए,
ऐसे माधव से मित्र बनो..।
बूंद में घुलकर बंजर महके..,ऐसी अमृत की वृष्टि बनो,
इस कलयुग में तुम मनुज बनो..।

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चट्टानों से अटल रहो तुम..,
लहरों सी हर चाल चलो ... । समय के सागर से चुनकर ,पुस्तक एक खास लिखो।
तुम कल नई मिसाल बनो...।

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इक हसीन लम्हा..
जीवन के सूनेपन में कैसी हलचल ये हो रही है..
यादों के कोरे पन्नों पर ..स्याही ये घुल रही है..।
मैं मुड़कर देखूं उन्हें उसी मोहब्बत से..
फिर पुकारा है उसने बड़ी हसरत से..।
के खते बशीर बन आ गए वो दहलीज़ पर ऐसे,
क्या कहूं के .............लफ्ज़ ही नही है।

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नारी
हर घर की एक व्यवस्था हूँ... मैं,
मातृत्व रूप में जननी हूँ...।
नन्हीं सी किलकारी भी मैं....
कभी राखी ,कभी वहिनी हूँ...।
मैं आज के कलम की स्याही हूँ..
सकल समाज का संबल हूँ मैं..
मैं ...आज के युग की नारी हूँ..।

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प्रेम
प्रेम का कोई पैमाना नहीं होता...।
जहां पैमाना होता है वहां प्रेम नहीं होता...

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लक्ष्य
सिंदूरी प्रभा में सपनों के कमल खिला..,
रात के गलियारे में मेहनत के जुगनू सजा...,
कड़ी धूप में तपकर भी ...कदम तो बढ़ा..।
निश्चय ही तू ........आफताब बन छाएगा ...,
अपना ....लक्ष्य....तु इक दिन पा जाएगा...।

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परिस्थितियाँ
कभी कोई व्यक्ति या वस्तु महत्वपूर्ण नही होता..।
उसकी परिस्थितियाँ ..,उसे महत्वपूर्ण .....
अथवा महत्वहीन बना देती हैं.......।

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समय
समय जो...... किसी के लिए नही रुकता...।
जो समय की कीमत करते हैं......,
समय उन्हें .........बेशकीमती बना देता है।

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