✨पत्थर एवं प्यार✨
वैसे तो पत्थर केवल पत्थर ही नहीं होता,
पत्थरों का भी आदर होता है,
सत्कार होता है।✨
दिख जाती हैं कभी निर्जीवों में खूबियाँ
कि प्यार उनसे बारम्बार होता है
कई बार होता है।✨
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बरसा है नभ से प्यार प्रिये,
है बरखा का सत्कार प्रिये,
कोमल बूँदें, लचके झूले,
आ जाओ बस एक बार प्रिये,
नभ का ये प्रेम है वसुधा को,
ये प्रेम का है अधिकार प्रिये,
आओ की मधुमय हो वर्षा,
आ जाओ है मनुहार प्रिये,
आ जाओ जीवन सूना है,
अब बरसा दो रसधार प्रिये।।
सिद्धार्थ मिश्र-
# 04-02-2022 # गुड मार्निंग # काव्य कुसुम
उपकार # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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तन से, मन से व धन से,
करो सदा उपकार।
घड़ा भरोगे पुण्य का,
पाओगे सत्कार।।
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खुशियों का बसेरा है
हर गली हर मोड़ पर हंसने का सिलसिला है
दिल की हर धड़कन में खुशी का रंग समाया है
हमारी इस दुनिया में खुशियों का ही ताना बाना है
हर सुबह की पहली किरण में मुस्कान की सौगात है
हमारी इस दुनिया में खुशियों का वास है
आओ न कभी मिलने
तुम्हारा भी स्वागत और सत्कार है
हमारी इस दुनिया में….-
जो भी आये प्रेम से, करते हम सत्कार
ये हमारी परम्परा, मिले यही संस्कार-
"मैडम स्वागत कर रही बच्चे भी सत्कार।
कुकुर पालतू झपटते ये कैसा व्यवहार?"
😊डबल गेम😊-
वो कार दे सकता है
तो मैं प्यार दे सकता हूँ
वो प्यार नहीं दे सकता है
मैं सत्कार भी दे सकता हूँ
वो शायद मार भी सकता है
मैं तुम्हें अधिकार भी दे सकता हूँ
ग़र तुमने मेरा मन जीत लिया
तुम्हारा गुलाम भी हो सकता हूँ-
बरसा है नभ से प्यार प्रिये,
है बरखा का सत्कार प्रिये,
कोमल बूँदें, लचके झूले,
आ जाओ बस एक बार प्रिये,
नभ का ये प्रेम है वसुधा को,
ये प्रेम का है अधिकार प्रिये,
आओ कर लें अंखियो को सजल,
आ जाओ है मनुहार प्रिये,
आ जाओ ये जीवन सूना है,
अब बरसा दो रसधार प्रिये।।
सिद्धार्थ मिश्र-
जीवन प्रकृति की तरह..
सद्गुण का सत्कार..
दीन दुखी का बल बनो,
श्रेष्ठ भाव उपकार...
वसुधा पर है त्रासदी...
कोटि कोटि संहार...
प्रेम से जीतो रे मनुज,
दूर करो तलवार..!
जो बीता वो भूल जा,
व्यर्थ है ये प्रतिकार..
क्रोध,घृणा सब त्यागकर,
हृदय में भर लो प्यार...
सिद्धार्थ मिश्र-