एक किताब बनाया है खुद को
कहने को जिसमे अल्फ़ाज़ नही
कलम से गुरेज की है ज़िंदगानी
शेर-ओ-शायरी का हिसाब नही ।।-
मज़बूरी है साहब शेरो शायरी करना,
वरना किसे शौक है,अपने गमो की नुमाइश करना.-
लाख मुसीबत सर पे आए हरगिज़ न घबराएंगे
दिल की दिल में ही रक्खेंगे हल्ला नहीं मचाएंगे
फूल वफ़ा के जब वो अपने दामन से बरसाएंगे
दिल की मुरादें पूरी होंगी हम फूले नहीं समाएंगे
उन'को ले'कर साथ में अपने चौपाटी पर घूमेंगे
सारा दिन बस मौज करेंगे शाम ढले घर आएंगे
इक दिन तो इक़रार करेंगे कभी तो दामन थामेंगें
हम भी अब देखेंगे आख़िर कब तक वो शर्माएंगे
उनकी ये जाँ सोज़ अदाएं मेरी जान ही ले लेंगी
तू भी लेना देख 'सुख़नवर' हम यूँ ही मर जाएंगे-
हकीकत का अलार्म न बजे तो अच्छा है, नींद में कुछ सपने पाल रखे हैं,
साँप का डर हमें न दिखाओ जनाब हमने आस्तीन में अपने पाल रखे हैं,
सूरज को घमंड अपनी चमक पर, चाँद से जलता, रात को निकले तो जानूँ,
कई बार गिरना भी बुलंदी होता है, जहाँ से संभला है वहाँ फिसले तो जानूँ,
आस, क़यास, दिल बहलाना, बेतुका तुम लिखो हम हकीकत शोधते हैं,
हमारी सोच व हौंसला ऐसा कि प्यास में रेगिस्तान में भी कुआं खोदते हैं,
श्योराण✍️-
इंसान आज कितने ठिकानों में बट गया
सैय्यद व शेख़ मिर्ज़ा पठानों में बट गया
इम्दाद जितनी आई वो नेता हड़प गये
सैलाब का जमाव किसानों में बट गया
भोली अवाम को तो पता भी नहीं चला
सबका ध्यान उनके बयानों में बट गया
शीराज़ा इख़्तिलात का ऐसा बिखर गया
हर सूबा देखो अपनी ज़बानों में बट गया
परछाई से लगते हैं सब लोग 'सुख़नवर'
हर कोई आज आईना ख़ानों में बट गया-
रोशनी की क़ीमत सिर्फ़ वही जानता है
जिसने अंधेरे में ज़िंदगी गुज़ारी है.
और इश्क़ की क़ीमत वही जानता है
जिसने इश्क़ करके भी ज़िन्दगी तन्हा गुज़ारी है !!
#नाकाम_इश्क़-
ये चाँद काश एक बार ही सही
मेरा चाँद का दीदार हो जाता
ज्यादा नही बस थोड़ा ही सही
काश उन्हें भी हमसे प्यार हो जाता-
But humare marne ke Baad
Humari yaad mein
Poori duniya
Subah shaam tadpegi-
ये शेरो-शायरी अब बहोत कम होने लगी है,,
क्या दुनिया से मोहब्बत खतम होने लगी है,,-
क्षल
धूल, मिट्टी, और कायी जम गयी है
ये शख्स कौन है जिसपर तन्हाई जम गयी है
इर्द - गिर्द कुछ लहू के निशान हैं
वो कौन है ? जो हरजाई बन गयी है
मुख पर पानी के छीटें मारो और पूछो
कौन हो और किसकी कहानी बन गये हो-