हया है, लाज है, शर्माना है, फिर भी कुछ बाकी है,
होने को तो है सब पर तेरी नजरें झुकना बाकी है!
गिला है, शिकवा है, शिकायत है, गुस्सा है, चुप है,
मुस्कुराने को है वो तैयार, पर उसे मनाना बाकी है!
महक है, लहक है, खुशबू है, सुगंध है, कस्तूरी है,
संभल के रहना तुम, अभी मेरा बहकना बाकी है!
नजाकत है, लियाकत है, सदाकत है, इबादत है,
सबकुछ तो अपना लिया पर तुमसा होना बाकी है!
मेहंदी है, बिंदिया है, पायल है, कंगन है, काजल है,
पर तेरी मांग में अभी, मेरा सिंदूर सजाना बाकी है!
गाथा है, कथा है, किस्सा है, कहानी है, किताब है,
करेगी दुनियां याद, हमारा इतिहास होना बाकी है!
मनमोहिनी है, राधा है, रुक्मणि है, मीरा है, सखी है,
पर एक तो कमी है "राज" तेरा कृष्ण होना बाकी है! _राज सोनी-
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं कि,
तुम मुझसे ज्यादा अपने दफ्तर से प्रेम करते हो ||
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं कि,
तुम मुझसे ज्यादा अपने लैपटॉप और मोबाइल पे,
फोकस करते हो|
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं कि,
तुमने मेरे प्रति अपनी लापरवाही को अपने प्रेम भरी
शब्दों की चासनी मे लपेट रखा है ||-
शिकायतें बहुत हैं आपसे
समझ नही आता शुरुआत कहाँ से करें
कभी दिल कहता है आकर कह दें आपसे
मगर फिर दिल को समझा देते हैं
क्या करेंगे अपने ही दिल से शिकायत करके
डरते हैं हमारी शिकायतें आप दिल से न लगा बैठें
..
😥😥😥🤐😢🤔🤔🤣🤣-
वो इश्क़ से इश्क़ की शिकायत कर रहे थे
चलो छोड़ो, कौन सा खुदा की इबादत कर रहे थे-
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।
तोड़ा ही क्या है आखिर तुमने?
एक कच्चा दोस्ती का धागा ही तो था।
खोया ही क्या है आखिर मैने?
एक शख्स पर मुझे खुद से ज्यादा भरोसा ही तो था।
जो टूट गया, जो खो गया,
वो ना तुम्हारा था ना मेरा था।
एक नाजुक दिल से दिल का रास्ता ही तो था जो मिट गया।
इसलिए ही तो,
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।
-
है जिंदगी तुझसे बस इतनी ही शिकायत
जो तुझ सी बनकर आती है, उसे क्यों छीन लेती है?-
हे ईश्वर! ये तो नहीं कह सकता
कि तुम जो करते हो
सब भले के लिए करते हो
फिर भी मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।-
क्यों मेरे रब मुझे इतना सताते हो
मेरे अपनों से ही मेरी तोहीन करवाते हो
गलती तो बता जाया करो मेरी
क्यों हर बार मेरी ही हंसी छीन ले जाते हो-
वाकिफ नही हम कागज़ के दर्द से
ना जाने कितने दर्द समेट रखे है
ये तो बस कागज़ ही जानता है
कितने रंगों से सज़ा होता है दर्द
कोई नही जानता कागज़ का दर्द
जब दर्द बेदर्द लगने लगे तो
इन कागज़ों में हम अपने दर्द
को शब्दों का रूप देकर बयान कर देते है
सब का दर्द सह जाता है कागज़
बिना किसी शिकायत के
जाने कितने दर्द समेट रखें है खुद मे
कोई नही जानता कागज़ का दर्द
-