और उलझनों में भी
सुलझी रही,
मैंने खुद को उलझनों में,
ज्यादा उलझने ही ना दिया।
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व्यक्तिगत प्रश्नों में कोई रूचि नहीं|
कोट में कमेंट करते वक्त मर्यादा में रहें... read more
मेरी जिंदगी की हर कड़ी,
तुमसे रहे जुड़ी,
हर संघर्ष में
खुशियाँ और दुःख दर्द में,
ज़माने से लड़कर,
तेरे संग रहूं मैं खड़ी,
साथ चलूँ मैं ऐसे जैसे,
चलते हैं साँसों की लड़ी।
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गुलाब की तरह महकते हैं वो रिश्ते,
दोनों हाथ से मिलकर हैं जब संवरते,
अन्यथा खोखली दुनियादारी के आगे,
झुके हुए ताउम्र झूठ की बुनियाद पे हैं पलते ।
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जीने के लिए कुछ नहीं,
तुम्हारा साथ तो चाहिए,
थके हुए मन को,
तुम्हारी मुस्कान तो चाहिए,
मैं दिन भर बीता लू घर गृहस्थी में,
पर आओ तुम दफ्तर से जब वापस,
गुफ़्तगू के लिए कुछ पल ही सही,
तुम्हारा वक़्त तो चाहिए,
जो मैं रूठ जाऊँ तुम मनाओ,
बस इतना ही सही,
तुम्हारे दिल में,
मुझे मेरा मकान तो चाहिए।-
वो चंद शब्दों में बता नहीं पाता,
आँखों से भी परवाह जता नहीं पाता,
एक मैं ही हूँ एकतरफ़ा निभाये जा रही हूँ,
वो अपने हिस्से का इश्क जता नहीं पाता।-
यादें जो ठहर गई,
इस रूह के आशियाने में,
मुश्किल से जो विदा हुई,
मेरे ख्वाब के सिरहाने से,
बंद आँखों से देखा जिसको,
थामे हाथ दूर तक आ निकला था,
खुली हुई आँखों ने देखा,
सपना वो केवल रुपहला था।
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ना पूछने पर भी,
हरबार बता देती हूँ,
उसको परवाह नहीं मेरी,
पर अपने हिस्से का परवाह जता देती हूँ,
सात फेरों में बांधा है दोनों ने एक दूसरे को,
पर उसके हिस्से का फर्ज भी मैं निभा देती हूँ।-
ना जाने किस धागे से बांध रखा है,
मेरी हर हसरत को संभाल रखा है,
यूँ तो तेरी दूरी हरपल खलती है,
पर उस दूरी में भी,
तेरे एहसासों को संभाल रखा है।-
मैंने अपने सब ख्वाहिशों को,
तितलियों की भांति उड़ा दिया,
खूबसूरत थे वे इतने कि,
आसमान को उन्होंने अपना जहां बना लिया।-
जाने देना आसान कहाँ होता है,
मोहब्बत में रुक जाए कोई,
इतना कोई मेहरबान कहाँ होता है,
जो मिल जाए उम्र भर का साथ किसी का,
किस्मत फूलों का जहां कहाँ होता है,
चुभती रहती है यादें उसकी,
नींद में भी सुकून का नामों निशान कहाँ होता है,
जो ठहर जाए उम्रभर साथ निभाने को,
सच्ची मोहब्बत में झूठ का जहां क्यों होता है।
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