पढ़ते पढ़ते उसके ख्यालों में डूब जाना भी इश्क है,
उसको याद करके मुस्कुराना भी इश्क है,
खुद ही में अब ढूंढती हूँ उसको,
मेरी परछाईं में उसकी छवी आना भी इश्क है।-
व्यक्तिगत प्रश्नों में कोई रूचि नहीं|
कोट में कमेंट करते वक्त मर्यादा में रहें... read more
और फिर जब उसको मेरा ख्याल आयेगा,
मैं आशा करती हूँ,
कि मेरे विदा होने का वक़्त आ जाएगा,
और विदा भी ऐसे,
दुनिया से हमेशा के लिए चलें जाते हैं जैसे,
फिर वो और उसका वक़्त,
हमेशा के लिए उसका मलाल बन जाएगा।-
और फिर उस नालायक ने,
खुद को उसको काबिल बनाने के प्रयास में,
खुद को खो दिया,
और खोती ही चली गई,
ये सोच के कि काश,
उसको कदर हो उसकी,
जिसने इतने बरस दिए जीवन के,
उस पर उसको कभी तो प्यार आयेगा।-
संजोए रखा है कुछ यादों को,
गुलाब की तरह,
सूखे ग़र तो भी,
खुशबू बिखरती रहेगी,
बंद रहेगी सदा,
दिल के संदूक में,
जब जब खोलूंगी
चहक के रो लूँगी।-
और वो उसका मुड़कर यूँ देखना,
मुझे गुमराह कर गया,
सपनों में वो आती रही,
और ना मिल पाने का ग़म मुझे तबाह कर गया।-
बिखरे शब्द से समेटना खुद को,
बहुत मुश्किल सा होता है,
अपने मन के भावों में छुपकर,
मेरा शब्द जब जब रोता है,
उतरता है काग़ज़ में ऐसे,
मेरे रिक्त मन का दर्पण होता है,
आँखों से जो बह ना सके,
वो शब्दों के रूप में आग्रह बन बहता है।
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और सोचती हूँ,काश ग़र यूँ होता,
किसी शायर से ब्याह दी जाती,
और उसकी हर शायरी में मेरी ही बात होती,
कभी मेरी आँखों की तारीफ करता,
और कभी मेरे हुस्न के कसीदे गढ़ता,
कभी करता मोहब्बत की बातें,
और कभी मेरे तल्ख मिजाज पर कुछ लिखता,
और कुछ इस कदर,
मेरी मोहब्बत का काफिला चलता,
और जब जब वो शब्दों का जाल बुनता,
मैं उसके ताल से ताल मिलाती,
उसके आँखों में डालकर आँख,
हर बात मैं जान लेती,
उसके चलते हुए कलम से मैं,
उसकी खामोशी का भी ताक लेती।
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सुनो अगर एकबार भी लगे,
कि तुमको जाना है,
तो जाना जरूर,
पर जाना है तुमको बहुत दूर,
ये बताना जरूर,
सुलझे सवाल और जवाब हो ग़र तो,
मुश्किलें आसान लगती है,
और ग़र ना सुलझे सवाल कई तो,
जिंदगी कब्रिस्तान लगती है।
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एक बारिश ऐसी हो,
जो तन सहित मन को भिगो दे,
चंद पल ही सही,
मेरे अतृप्त मन को डुबो दे।-