और एकदिन माँ ने कहा था,
तुमको मिलेगा कोई ऐसा,
जो नहीं है तुम्हारे जैसा,
तुम हो अल्हड़पन की रानी,
वो होगा शांत समंदर सा,
जो तुम्हारी हर बात सुनेगा,
पर अपनी मन का करेगा,
वो जो तुम्हें बिना बताये करेगा प्यार,
और तुम्हारी हर नादानी पर हारेगा दिल,
तुमको बनाएगा मस्तक का ताज,
और तुमको डांटने से डरेगा।
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व्यक्तिगत प्रश्नों में कोई रूचि नहीं|
कोट में कमेंट करते वक्त मर्यादा में रहें... read more
मैंने आजादी का असली मर्म जाना है,
मिल कर तुझसे मैंने खुद को पहचाना है,
जो उम्र भर निभा दे साथ,
ऐसा वो फरिश्ता है,
मेरी कमियों को कर नजरअंदाज,
मेरी खूबियों को पहचाना है,
छोटी बड़ी मेरी हर सुख-दुख से उसका रिश्ता है,
मेरे आँखों को पढ़ने का हुनर भी बखूबी रखता है,
मैंने अपना तन-मन सब उसपे वारा है,
वो एक शख्स मेरी पूरी दुनिया सा लगता है,
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तुम हो मैं हूँ,मोहब्बत है,
बेरोक टोक सी चाहत है,
ना डर,ना भय,
बस इबादत है,
ना पाना ना खोना,
बस दो दिलों की राहत है।
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निशब्द प्रेम है उसका,शब्दों में ढाल पाता नहीं,
नैनो से भी ना करता इकरार,वो मेरा है मानू कैसे।-
ये सिलसिला बातों का कभी थमता ही नहीं,
तुम संग गुजार लूँ वक़्त जितना,वक़्त का पता चलता ही नहीं।
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और जला दिया गया मोहब्बत का हर एक निशान,
पर जो लौ दिल में रह गयी,उसका क्या ढूंढे निदान।-
कितनी ही पीड़ा थी जो आँखों से बह गयी,
पर जो मोहब्बत थी मेरी उससे,
एक अधूरी मनोकामना जैसी,
पत्थर बनकर आँखों में रह गयी,
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किसी दिन शौक से ही सही,
वो जताना तो सीखेगा,
मोहब्बत है मुझसे बताना तो सीखेगा,
जो करना पड़ा उम्रभर इन्तेज़ार,
इस हद तक गुजर जाऊँगी,
उसके हाथों से लगाकर गजरा,
थोड़ा मैं भी इतराऊंगी,
थोड़ा वो भी महक जाएगा,
थोड़ा मैं भी महक जाऊँगी।-
भीगे इस कदर,
इश्क में तेरे खुद से हुए बेख़बर,
यूँ दगा देती है मोहब्बत भी,
देकर खुशियाँ दो पल की,
कर देती है बेकदर ।-
कहाँ मिलेगी वो नाव मुझे,
जो लेकर वापस मुड़ जाएगी,
ले जाएगी बचपन की ओर,
खुशियों से मुझे रुबरु कराएगी,
झूमकर फिर माँ पापा के अंगना,
मेरी सखियों से भेट कराएगी।
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