मोहतरमा, समझिए ज़रा
कायनात के इशारे...
आपका दुपट्टा भी मेरी
शर्ट में अटक गया है...-
अच्छा है जो कपड़े बोल नहीं पाते,
अगर बोल पाते तो कई राज खोल जाते।
चमकती शर्ट भी जानती है, किसका मन कितना मैला है,
और पैंट बता देती कौन कहाँ से कितना फैला है।
बड़ी शिकायत है शर्ट के कॉलर को,
सबसे ज्यादा यही घिसी जाती है।
उसके बाद है आस्तीन की बारी,
दुश्मन कोई और होता है, बदनाम ये हो जाती है।-
नाप लेता है मेरा दर्ज़ी, तो पूछा करता है मुझसे,
दोस्त ज़्यादा हों, तो आस्तीनों में गुंजाइश रख दूँ..-
मैं बिना शर्ट पहने घूमता रहा
दिन भर से भरे बाजार में,
किसी ने ध्यान न दिया,
उड़ गया दुपट्टा ज़रा सा जो
उसके काँधे से,
हर नज़र ने उससे एक अजीब
सवाल किया....?-
तुम्हारे मेहरून शर्ट की सिलवटों में,
दिल का एक टुकड़ा छोड़ आए हैं .....-
तुम बटन टाँका करती थी मेरी शर्ट पर
और मैं रोज तोड़ा करता था-
उस रोज़ जो तुम आये थे और छोड़ गये थे वो बारिश में भीगी शर्ट, तब से मैं उस शर्ट से आती तुम्हारी महक में भीगी रहती हूँ। इतना तो कभी बारिश ने भी मुझे नहीं भिगोया।
-
तुम्हारी शर्ट की बटन से उलझकर मेरे बाल
सुलझा देते हैं कई गुत्थी, सुलझा देते हैं कई सवाल-
मै हर रोज़ तुम्हारे शर्ट के साथ सोती हूं।
बाहों में उसे भरकर होठों से छूती हूं।
उसके बाजू में अपना सर रखकर
थोड़ी देर में रोती हूं हर रोज़ मैं तुममें खोती हूं।
हां मैं हर रोज़ तुम्हारे शर्ट के साथ सोती हूं।-