शजर के शामियाने में शबनम की बहार तो देखो
मौसम कितना हसीं हैं एक नजर बाहर तो देखो-
"आओ मरहम बन जाते हैं"
रखे जो दिल की मिट्टी नर्म, वो शबनम बन जाते हैं।
बदल कर रीत चंद्रग्रहण की, हम पूनम बन जाते हैं।
ढूंढता छाँव हर शख्स यहाँ, जिंदगी की कड़ी धूप में
जख्मों की इस दुनियाँ में, आओ मरहम बन जाते हैं।
#पूनम=full-moon-
ठीक वैसे ही मेरे ज़िन्दगी में गम रहती है
जैसे किसी फूल पर शबनम रहती है-
आज फिर आँखें हुई हैं नम हुबहू ऐसे
फूलों से रूबरू हो रहा हो शबनम जैसे-
मेरे आंसू टंगे हैं , वृक्ष की हर शाख पर
ले उधार नैनों से, शबनम बही है रात भर-
दिल की जो मुस्कुराहट है वो कागज़ पे उतार दूं..!
तेरी इश्क़ के तासौवुर में अपनी ज़िन्दगी गुज़ार दूं..!!
ये जो भीगी भीगी सी शबनम तेरे होंठों पे रहती है..!
मुस्कुराते हुए चल मैं तेरी ज़िन्दगी को निखार दूं..!!
तूने तो कभी सोचा भी नहीं होगा मेरी अर्धांगिनी..!
आ बैठ मेरे पास मैं तुझे तुझ से ज़्यादा निखार दूं..!!
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आँख से टपका आँसू शबनम तो नहीं है ना
शबनम का वज़न आँसू से भारी तो नहीं है ना-