माँ है तो घर की रौनक बनी है अब तक
बरामदे को अब तक वालिद ने आबाद रखा है।।-
घर में बरकत मिली माँ में जन्नत मिली
और वालिद में हमको ख़ुदा मिल गया।।-
जबसे हम वालिद के साए से निकल कर आए हैं
इक नई दुनिया से अपना सामना होने लगा।।-
ज़माने भर की तक़लीफ़ें, मेरे आगे बनें अदना,
मेरे वालिद का साया जो, मुझे महफ़ूज़ रखता है..-
ऐसे ही नहीं ऊँचा हुआ है यह जिस्म, रुतबा और नाम
मेरे वालिद के ख़ून, पसीने और आँसुओं ने मुझे सींचा है
जब-जब भी मेरी भलाई, मेरी ख़ुशी की बात है आई
मेरे वालिद ने ख़ुद की हर इच्छा को पीछे धकेला है
पहना कर मुझे पैंट-बुशर्ट चमचमाती नई नवेली
मेरे वालिद ने ख़ुद की बुशर्ट को कईं टाँके लगाकर पहना है
नहीं खाये ठोकर दुनिया में, ना पीछे रह जाये किसी से भी
मेरे वालिद ने पेट काट अपने बेटे को कान्वेंट में भेजा है
"सब हो जायेगा, बस तू चिन्ता मत कर बेटा" कह-कहकर
मेरे वालिद ने ख़ुद चिन्तित रहकर मेरी पीठ को थपेड़ा है
सिर पर रहे छत, तन पर मेरे कपड़ा, थाली में दाल-रोटी
मेरे वालिद ने इसलिये, हाँ इसलिये ख़ुद को रोज तोड़ा और फ़िर जोड़ा है
क्या औक़ाद मेरी, क्या मेरी लेखनी, क्या मेरी ज़बान
मेरे वालिद ने देकर मुझे जिस्म और साँसे, मुझे हरपल उकेरा है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
सुनो,
मौत इंसानों की होती है
जज्बातों की नही।
💔
बटवारा हालातो का होता है,
यादों का नही।।-
हर्फ़, जिगर, हयात, जिस्म ये सब जिससे आबाद है।
वो रूह के दरमियां मिरे वालिद की लौह बुनियाद है।।-
माँ की मोहब्बत काफी थी इस ज़हाँ में, पर
खुदा ने वालिद का मर्तबा भी कम न किया।-
ज़माने भर की दौलत को, पिता ने इस तरह लुटाया है,
ख़ुद की रोशनी से, उन्होंने दूसरे का चिराग जलाया है।।
दौर ए महंगाई में ,फटी जेब को रफ़ू से टाँका लगाया है,
मेरी हर फरमाइश को, पिता ने सर माथे पे उठाया है ।।
महका है किरदार मेरा, मेरे पिता के पसीने के इत्र से,
ख़ुद लौ में तप कर पिता ने, मुझे कुंदन सा सजाया है।।
इल्म मुझे इतना कि, गुल से गुलशन गुलज़ार रहता है,
मेरे बाग़बान ने मुझे ,खारो में भी महकना सिखाया है ।।
कफ़स में कैद ना जाने ,कितने ही पंछी है मेरे जैसे,
परवाज़ ए हुनर से मेरे वालिद ने मुझे ऊंचा उड़ाया है
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मेरी श्रद्धा को तेरी आस्था ने रोक लिया
वरना मैं भी ख़ुदा को वालिद बना लेता
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