आज का शायर आज के हालात पर लिखता हुँ।
ज़िन्दगी के अनसुलझे हर सवालात पर लिखता हुँ।
चीखते बिलखते खामोश हो जाती कुछ नज़र,
दुनिया में दरिन्दगी भरी उन वारदात पर लिखता हुँ।
कभी कृष्ण द्रोपदी जैसे भाई बहन का प्यार था यहाँ,
आज वही बहन की लुटती हुई लाज पर लिखता हुँ।
कभी संस्कार चलते थे मां- बाप के संग औलाद के,
मोह माया में डूबे लोगों के खयालात पर लिखता हुँ।
आज मुह में राम बगल में छुरी होती है लोगे के,
ऐसी मतलबी दुनिया में छुपे राज पर लिखता हुँ।
पहले शकुनि का षड्यंत्र था अब गोरों की हड़पनीति,
भाई भाई की एकता को खंडित करती हर वो बात पर लिखता हुँ।
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अगर है प्यार किसी से तो बात कर लेंगे
उसी से साथ बसर ये हयात कर लेंगे 1
जो तुम कहोगे बताएँगे हाल अपना हम
बयान दिल पे हुई वारदात कर लेंगे 2
सफ़र में साथ रहे आप जो हमारे तो
जनाब पार सभी मुश्किलात कर लेंगे 3
चलेंगे राह-ए-मुहब्बत पे साथ तेरे हम
भले बुरे जो भी हों तजरबात कर लेंगे 4
वरक़ वरक़ पे तेरी याद डाइरी में मिली
हम अपने अश्क़ से नम काग़ज़ात कर लेंगे 5
तेरे बग़ैर नहीं ज़िन्दगी का हासिल कुछ
हम अपनी ख़त्म सभी ख़्वाहिशात कर लेंगे 6
"रिया" जो कह न सके हम तेरी कहानी को
ग़ज़ल में दर्ज सभी वाक़िआत कर लेंगे 7-
यकीनन ऐसे लगता है जैसे "वारदात" करती हो,
मसलकर होंठ जब तुम आंखों से बात करती हो!!-
221 2121 1221 212
तन्हा अकेली रात है ये कोई बात है
डरती हमारी ज़ात है ये कोई बात है।1
उनसे सवाल सीधा था लेकिन जवाब में
आधी अधूरी बात है ये कोई बात है।2
सिस्टम पे अपने इतने भरोसे के बावजूद
क्यों होती वारदात है ये कोई बात है।3
अपने लिए सुकून का पल भी नहीं जहाँ
कैसी ये क़ायनात है ये कोई बात है।4
आते हैं ग़म क़रीब हमारे हमेशा क्यों
ग़म से नहीं नजात है ये कोई बात है।5-
सड़कों पर हादसों का
भीड़ में वारदातों का
रिश्तों में धोखों का
प्रकृति में प्रदूषण का
जीवों में जीवाश्म का
खून में प्रिजर्वेटिविस का
मिट्टी में पैस्टीसाइड,इनसैक्टीसाइड का
उर्वरता में पॉलीथीन का
आस्था में आतंकवाद का
मानवता में स्वार्थ का
वाकई विकास हो रहा है।
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