ये मुहब्बत तूने भी मुझ पर एक एहसान कर दिया।
जब मेरे सनम को मेरी याद में परेसान कर दिया।।
दिखा कर ख्वाब मेरी मैयत का।
आधी रात जब कॉल आया उसका तो मुझे ही हैरान कर दिया।।
जो भूल गया था मुझे दिखा कर सपने मुहब्बत के। उसके दिल मे मुझे फिर एक बार मेहमान कर दिया ।।-
अल्फाज मेरे गुलाम है , और दोस्तों की मेहरबानी।।
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यहां पर भाई बंधु मित्र सभी को , बोल के बैठा हूँ।
लूट लो चाहे जितना प्यार , मैं दिल खोल के बैठा हूँ।
प्यार चाहोगे प्यार मिलेगा थोड़ा नही बेसुमार मिलेगा।
मुहब्बत लुटाने मैं दिल के दरवाजे खोल के बैठा हुँ।।
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अब जरूरत नही हमसे बात करने की।
अब जरूरत नही हम पर यूँ ही मरने की।
अरे तुम क्या इग्नोर करेगी मोहतरमा हमे,
तुम्हारी औकात नही साथ निभाने की।।
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कोई मुझसे पूछे क्या मुहब्बत होती है क्या,
मैं उनसे पूछता है किसी को अब मुहब्बत होती है क्या।
दिल लगाकर लोग दिल तोड़ जाते है,
अपना बनाकर लोग यूं ही छोड़ जाते है।
खिलौना समझ इस नादान ज़िन्दगी को,
लोगो अपने अपनो से मुह मोड़ जाते है।
मैं इनसे पूछता हूं इनकी नजरो में,
इज्जत इज्जत होती है क्या।
क्या किसी को अब मुहब्बत होती है क्या।।
आज मुहब्बत को लोगों ने खिलौना बना लिया,
इज्जत को अपनी अपना बिछोना बना दिया।
आज इसके साथ कल उसके साथ,
इंसान ने खुद को कितना कमीना बना लिया।
आज मैं इनसे पूछता हूं दुनिया मे,
ऐसा भी कोई जीना जीना है क्या।
क्या किसी को अब मुहहब्बत होती है क्या।।
यहां अपनेपन का दिखावा ऐसे करते है लोग,
एक चेहरे पर नया चेहरा लिये फिरते है लोग।
पाकर यहां विश्वास अपने अपनों को,
कभी जुबान तो कभी खंजर से वॉर किया करते है लोग।
मैं इनसे पूछता हूँ क्या कभी कोई
अपनो पर विश्वास भी कर पायेगा क्या
क्या किसी को अब मुहब्बत होती है क्या।।
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पूछ रहे थे दोस्त उदासी की वजह,
हमने कहा हमारी जान चली गई।
वो जब आई घूंघट ओढ़ देखने हमे,
दोस्तों ने अपने कुछ दोस्तों से कहा।
हमारे इस दोस्त की जान चली गई ।
जब छोड़ इसे इसकी जान चली गई।
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ज़िन्दगी में ज़िन्दगी की कोई कदर नही करता।
बाद मरने के लोग लगा देते है स्टेटस का परचा।
कोई याद करता है तो कोई छुप छुपकर रोता है।
बहन एक भाई तो माँ अपनी औलाद खोती है।।
मित्रअपना दोस्त तो भाई अपनी परछाई खोता है।
माँ सबके सामने तो बाप दिल ही दिल मे रोता है।।
नादानी में ,जवानी में इंसान मौत से नही डरता।
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी समझता तो कोई न मरता।-
मत पूछ की मेरे दर्द की दवा क्या है।
बस ये बता तेरी नाराजगी की वजह क्या है।।
खुद को झोंक दिया नफरत की आग मे,
तेरी खुशी के खातिर।
तुझे चाहने की इससे बड़ी सजा क्या है।।
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मेरी मोहब्बत का इस तरह खिताब देने लगे है लोग।
जलाकर घर मेरा घर अपना रोशन करने लगे है लोग।।-
जिसे खुदा मान हमने जिसकी इबादत की थी।
वो अब किसी और खुदा की मूरत बन गए है।।
वो पहले जिसकी सूरत देखने को तरस जाती थी।
अब हम उनके लिये सिर्फ जरूरत बन गए हैं।।-
दिल मे अब मुहब्बत की जगह नफरत और आंखे आसुंओं से भर लेना।
और किसी से करनी हो दुश्मनी, उससे सच्ची मुहब्बत कर लेना।।-