लाल गुलाब
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(शेष अनुशीर्षक में पढ़े)-
नशा वो क्या जिससे इंसान खुद ही बहक जाय,
नशा तो वो है जिससे जिंदगी फूलों की तरह महक जाय ।।-
आज
कोई भी कविता
ह्रदय में जन्म
नहीं ले पा रही है....
शब्द भी
सूझ नहीं पा रहे है....
मन के
अन्दर भावों ने
कोलाहल मचा रखा है
मेरे साथ साथ
मेरे आस पास
उदासी सी छायी है
अचानक
एक लाल गुलाब
हथेली पर गिरता है....
और मैं कविता को
अपनी हथेली पर
महसूस करता हूं .....
- राजेश सिंह
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हालात कह रहें हैं कि अब रुकना नहीं मुमकिन
अरमान कह रहें हैं कि थोड़ा और इंतज़ार कर लें
काफ़ी मशक्कत बाद भी नहीं निकली सफ़ेद सुनामी
अब थोड़ा हम पीछे से आपके अंदर बाहर कर लें-
वो लाल गुलाब की फूल
चुन चुनकर लाया था
तेरे लिए
आज रास्ते पर पड़ी मिली
कोई उसे कुचलकर चला गया था-
मै इश्क़ से भरा हुआ वो लाला गुलाब हूं जहां
मुझे खुशियों के वक़्त अपना कर मेरी खुश्बू
से सारे घर को मेहकते हुए रख ते है।-
लाल गुलाब गुड़हल का
पौधा लगा लिया हमने
नवरात्रें आ रहें हैं
मेरी माँ को पसन्द है
ये सोचकर लगा लिया हमने
हे प्रभु अब इसमें तू
फूल खिला देना
मुझे माली समझ
सेवा करवा लेना
मेरी माँ खुश हो जाएगी
ढेरों आशिर्वाद अपने
बच्चों को दे जाएगी
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तुम्हारी डायरी के पन्नों में
वो सूर्ख़ लाल गुलाब
पूछ रहा है आज भी
एक सवाल का जवाब
इकऱार करना मुश्किल था
या इनकार करना-