हम युवा है..
युवा शक्ति है भारत की पहचान..
नवनिर्माण की ज्वाला है हम
जो कण कण में ऊर्जा भर दे
वो भरपूर नवऊर्जा है हम
हम युवा है..
जो मुश्किलों से लड़ जाये
वो दो धारी तलवार है हम
जो अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज उठाये
उस युवा शक्ति को सलाम है
हम युवा है..
राष्ट्र निर्माण में सबकुछ न्योछावर कर दे
उस युवा शक्ति को प्रणाम है
देश विदेश में जिसके नाम की डंका गूंजे
उस युवा तरुणाई पर अभिमान है
हम युवा है..
नहीं आग हमारे हाथों में
हम तो ख़ुद ही कर्मों एक चिंगारी है
दुष्टता और अत्याचारों से
निरंतर युध्द हमारा जारी है
हम युवा है..
युवा शक्ति है भारत की पहचान...-
🌸 Thought of The Day 🌸
राजनीति ने हमेशा
देश के भविष्य को भटकाया है,
कुछ एक अपवादों को छोड़कर!!-
अपने आप में विश्वास, एकाग्रता, सत्य का आदर्श
निष्ठावानकर्मयोगी हरकदम, हरलक्षभेद मेंं स्वतंत्र निर्भय
दृष्टिकोण से सबकाबड़ा मददगार जो है
वो उज्ज्वल भविष्य का युवा शक्ति है
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जो आत्मनिर्भर हो,जो दूसरों की सहायता करता हो ,धर्म का सदुपयोग, समय का सुनियोजन एवं सदुपयोग ,शारीरिक संतुलन, मानसिक संतुलन, स्वयं का अध्ययन करता हो, सत्साहित्य का स्वाध्याय, कठिन परिश्रम, दृढ़ संकल्प, स्वच्छता, सुव्यवस्था, सुसंगति,
विचारों में पवित्रता, सकारात्मक सोच, स्वस्थ जीवन, शालीनता, सज्जनता हँसमुख, शिष्ट एव विनम्र व्यवहार ही युवावस्था की पहचान कराते हैं।
जिनमे ये गुण है वही युवा कहलाता है।
धर्म और संस्कृति के महान उन्नायक स्वामी विवेकानंद जी की जन्म जयंती पर उन्हें कोटिशः नमन। ❤❤❣🚩🙏🙏(गिरि अमरेश)
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अगर देश में विकास लाना है
तो युवा शक्ति को जगाना है
उससे चाय पकौड़े नहीं तलवाने
उसे जाग्रत स्वसक्षम बनाना है-
ओ महारुद्र के अग्नितेज !
भगतसिंह तुम सेनानी!
जिस घड़ी तुम्हारा जन्म हुआ,
रावी का खौल उठा पानी।
तुम नव बसन्त के अग्निपुष्प!
जलते किंशुक तुम दावानल,
भूगर्भ धधकते ज्वालामुख,
तुम हिंद सिंधु के बडवानल।।
जलियांवाला की रक्तसनी ,
माटी से तूने तिलक किया,
केसरि किशोर तेरे उर में .
जल उठा क्रांति का नया दिया।।
संकल्प धनी तेरी निष्ठा ,
अद्भुत विद्या का तप तेरा।
भारत गर्वित स्वर में बोले,
यह भगतसिंह--मेरा मेरा।।
भगतसिंह तू अग्निपुष्प!
भारत का बलिदानी यौवन।
भारत भूमि धन्य हुई ,
हो गया व्योम तुझसे पावन।।
युग युग तक अमर रहेगा तू,
है रक्तपर्ण इतिहास सूर्य।
घन तमस चीरता जायेगा,
तू मानवता का विजय तूर्य। ।
सुधा सक्सेना(पाक रूह)
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आक्रोश हूँ मैं! युवा का,
तुम मुझको कैसे रोकोगे,
फिर जाति धर्म मे बाटोगे या,
हिंसा में मुझको झोंकोगे।
मेरे सपनों का,
आशाओं का,
गला तुम कब तक घोटोगे,
बहुत सहा उफ न किया,
चींखा भी नही घुट घुट के जिया,
चीखें!अब आवाज़ बनी है,
इस आवाज़ को कैसे रोकोगे,
आक्रोश हूँ मैं!युवा का,
तुम मुझको कैसे रोकोगे
जो क्रांति छिड़ी है निष्क्रिय सत्ता पे,
उस क्रांति की आगाज़ है हम,
फ़िज़ा बसंती करने वाली,
इंकलाबी आवाज है हम,
इस नये युवा के नये जोश के
इंकलाब को कैसे रोकोगे,
आक्रोश हूँ मैं! युवा का,
तुम मुझको कैसे रोकोगे।-