थारे बिना म्हारो जी नही लागे , जग लागे है झंझाळ ।।
म्हारे तो थे सब कुछ हो , ज्यूं मीरा रे गिरधर गोपाळ ।।-
दुख री जद अती हुई
बाई मीरा करी पुकार
नंगे पगां भाजो आयो
म्हारो गिरिधर तारणहार
राणो भेज्यो विष रो प्यालो
मीरा पीवे हांसी में
विष रो असर विरथ कर दीजो
सावरियो ब्रज रो बासी ने
जनम जनम री पूंजी पाई
मीरा म्हारी ठकुराणी जी
दासी बण बण बन बन भटकी
इक सांवरियो री आस ही में....
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'जाकी रही भावना जैसी'
आज बात बिरह के साहित्य पर
नागिन बैठी राह में, बिरहन पहुँची आय
नागिन डर पीछे भई, कहीं बिरहन डस न जाय-
वे प्रेम बन
लिखते हैं कविता
अपनी राधा
को सोच कर,
मैं मीरा बन 'उन्हें'
ही गुनगुनाती हूँ,
अपना 'कान्हा'
समझ कर-
हमे मंजूर है, हर दर्द , हर तकलीफ
आपकी चाहत में साँवरिया...
सिर्फ इतना बता दो, क्या आपको
हमारी प्रीत मंजूर है साँवरिया..!!
मीरा-
बिन करताल पखावज बाजे, बाजे म्रिदु झंकार
नाच रही अनहद में मीरा, जैसे रोम रोम रणकार-
सूरज म्हे थानै पूजती,भर मोतिया-गज थाळ...!
घड़ी एक मोड़ा उगजो.. महलां सुता म्हारा भरतार...!!
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घाघ था घोर बड़ा चितचोर, चोरी में नाम कमा गया कान्हा।
मीरा के नैन की रैन की नींद औ राधा का चैन चुरा गया कान्हा।।-
मीरा जोगन श्याम की,
राधा प्रेम का नाम,
मीरा नाम है भक्ति का,
मुँख पर राधाश्याम ।
राधाप्रेम में है जलन,
मीरा त्याग तमाम,
राधा आग वियोग की,
श्याम ही मीरा, मुकाम ।।-
इश्क़ तेरे मज़दूर हम
तू जो दे, तो है मंज़ूर सितम
वालिदैन, रब, यूँ तो सब को चाहा
इश्क़ में फक़त, हुआ मशहूर सनम
सबसे प्यार, दिलभर से चाहत
इश्क़, इश्क़ में भेद, क्यों मगरूर हम
बेचैनी, बेबसी, तड़प के सिवा है क्या
अगर न लगे मीरां सी मशगूल धुन
कहाँ गैरों के ज़ुल्मों सितम सहता कोई
मज़ा देते है इश्क़ के नासूर ज़ख्म
इबादत सी महोब्बत,नामंज़ूर इश्क़ को Dr.Rajnish
तभी ज़ालिम करता है क्रूर ज़ुल्म Raj4ever
कितने इश्क़ ने किए तबादले तेरे,'राज',
ये, वो, अब कलम का फ़ितूर हरदम-