Trilok Chand Nai   (© Sain Sahab)
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Joined 4 June 2018


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21 JUN AT 22:14

एक'र उपाड्‌या पाछे
गाछ पाछो को लागे ।
राम जी रो दियोडो सो की हैं
पण थारे बिना आछो को लागे ।।

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15 JUN AT 12:13

सफलताओं पर तो भीड़ लगेगी
सफलताओं पर तो भीड़ लगेगी
असफलताओं पर जो साथ खड़ा है वहीं तेरा है

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15 JUN AT 0:18

तुम पास नहीं हो , मै तुम्हारी यादों में खो जाऊ ।
तुम मेरी लिए भूखी रहो , ओर मै कैसे सो जाऊ ।।

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6 JUN AT 14:10

भटकाव भी जरूरी है
भटकाव से नए मिलते है रास्ते
कुछ नया किये बिना जिंदगी अधूरी है

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6 JUN AT 13:58

मैं
चाहूं
की तुम
आओ घर
अकेला घर
पर रह नहीं
पाता मै तुम बिन

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6 JUN AT 13:48

हूं लिख द्यु थारी
हथैळया माथै प्रेम रो गीत ।
पीहर रो तो छोड़ तावडो
सासरे री छिया करा' प्रीत ।।

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6 JUN AT 9:42

छिड़क दह महारे माथे।
कर दह रातों पिळो लिलो
रंग ज्या तू भी महारे साथै ।।

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5 JUN AT 22:17

अब सताना बंद कर दे ।
दुखो के कांटो को समेट ले
सुखों के फूलों से झोली भर दे ।।

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4 JUN AT 15:56

तुम्हे
नज़र न लग जाए कहीं।
बुरका छोड़
कम से कम घूंघट निकाल तो सही ।।

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4 JUN AT 15:50

हमें बातें करते हुए ।
आओ गले मिले
एक दूसरे को बिना छुए ।।

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