हिन्दी,हिंदुत्व मेरा परिचय,है गर्व मुझे मैं हिन्दू हूँ
प्रथमाणु सृष्टि का प्रथम बीज मानवता जिससे हुई शुरू!-
न हम अच्छे न तुम अच्छे रहा कोई न अब अच्छा,
मगर अच्छा रहे हम-तुम अगर अच्छाइयाँ सीखें!-
कुछ तो मेरे सीने में भी ईमान रहने दो,
काफ़िर न मैं मोमिन मुझे इंसान रहने दो।-
उस धर्म के सामने सब धर्म चिल्लर है , जिसका नाम मानवता है । क्युकी यह किसी से किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करता । ना जात:पात, ना काला:गोरा, ना अमीर:गरीब, ना धर्म:अधर्म ।
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मानवता आज लज्जित है भरोसे ने साथ छोड़ा है ,
छल से फल दे आज मानव ने मानवता को तोड़ा है।-
धर्म मज़हब की जब भी हुई लड़ाई
हर बार मानवता ने ही चोट खाई
विज्ञान जब देने लगा उसे दवाई
फिर लगे झगड़ने दो मूर्ख भाई-
अधर थरथरा के कहते फिर वहीं पुरानी कहानी
नवीन कुछ नहीं नवीनता है बेमानी
नवीनता के नाम पर जो हम संस्कार भूल जाते है
हमारे सारे अच्छे कर्म ही मानो उस पल धूल जाते है
एक गरीब बच्चे को देख जब हम तिरस्कार करते है
ईश्वर उस एक पल में हमसे कोसो दूर हो जाते है
नए नए आयामों को छू रही नवीनता
पर सब बेकार जो न हम स्वीकार करे वास्तविकता
मै ऐसे स्वर्णिम शब्द कहां से लाऊं
सत्य की वो माला कैसे बनाऊं
जानती हूं हकीकत मै तो हम मानवता से दूर है
जाने ऐसे कितने मजबूर है
गरीब को रोटी तो क्या दो मीठे बोल दे नहीं सकते
हम खुद के सिवा किसी के हो नहीं सकते
रोता होगा ईश्वर भी मानव बनाकर
जो खोया राग द्वेष में सब कुछ जान समझकर-
हृदय ससंकित जड़ चेतन
प्राण प्रमाद है या परिहास..!
उल्लास मात्र करते प्रमोद
किंचित द्रवित नही हुआ निज..!
क्षण भर विनोद में
दिया मृत्यु का भीषण उपहार..!
कल्पित मन प्रसन्न हेतु
किया जाया का गर्भ विनाश..!
स्व पर करते अभिमान
सोचा कितना हुआ कष्ट अपार..!
विचलित जीवन धारा में
मानव बुद्धि का यह संकुचन...!!-
आपको क्या लगता है ?
कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख
और ईसाई,
ये सब धर्म हैं...
नहीं!
धर्म तो मात्र दो हैं
इस सम्पूर्ण सृष्टि में
पहला मानवता और
दूसरा पशुता
मानवता धर्म मानव को मानव बनाता है
और पशुता
मानव को पशु बनाता है...
तो आप तय कीजिए
कि आपका
धर्म कौन सा है..?
और
आपको किस धर्म में रहना है..?-